रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) प्रथम नियुक्ति घोटाले में चार्जशीटेड आरोपियों की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को विशेष अदालत में आवेदन देकर 21 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की। यदि अदालत से अनुमति मिलती है, तो इन सभी की जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।
12 साल बाद आई चार्जशीट, अब गिरफ्तारी की तैयारी
इस बहुचर्चित घोटाले में सीबीआई ने 12 वर्षों की लंबी जांच के बाद 4 मई 2023 को तत्कालीन जेपीएससी अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। जांच एजेंसी के मुताबिक, इन पर प्रथम सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी कर अयोग्य उम्मीदवारों को चयनित कराने का आरोप है।
विशेष सीबीआई कोर्ट ने 16 जनवरी को इस मामले में 47 अफसरों समेत 74 आरोपियों को समन जारी किया था। समन मिलने के बाद 32 आरोपियों ने अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिनमें से 9 की याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। अब सीबीआई ने 21 आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अर्जी दी है, जिससे इस घोटाले की परतें और खुलने की संभावना है।
किन लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार?
जिन 21 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की गई है, उनमें प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:
- हेमा प्रसाद
- डॉ. बिजय प्रसाद सिंह
- परमानंद सिंह
- डॉ. हरेंद्र कुमार सिंह
- डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह
- डॉ. हरेंद्र नारायण चौधरी
- राज महेश्वर राम
- प्रदीप कुमार
- चिंटू दोराई बुरू
- सौरव प्रसाद
- अनवर हुसैन
- संदीप दुबे
- शालिनी विजय (मृत)
- दीपू कुमार
- पंकज कुमार
- धीरेंद्र कुमार सिंह
- भागीरथ प्रसाद
- मोहम्मद जियाउल अंसारी
- दिनेश कुमार रंजन
- सागर कुमार
- प्रेमलता मुर्मू
मृत शालिनी विजय के लिए भी वारंट का आवेदन!
इस सूची में एक चौंकाने वाला नाम भी शामिल है – शालिनी विजय, जिनकी मौत हाल ही में केरल के कोच्चि में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी। 21 फरवरी को पुलिस को उनके भाई के फ्लैट से शालिनी समेत उनकी मां और भाई के शव मिले थे। पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें शालिनी ने अपनी संपत्ति अबू धाबी में रहने वाली बहन को सौंपने की बात लिखी थी।
हालांकि, सीबीआई के रिकॉर्ड में उनका नाम अभी भी आरोपी के रूप में दर्ज है, इसलिए एजेंसी ने उनके खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आवेदन किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस पर क्या फैसला लेती है।
क्या है जेपीएससी नियुक्ति घोटाला?
झारखंड में वर्ष 2003-2004 के दौरान हुई जेपीएससी की प्रथम सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ियों को लेकर यह मामला सामने आया था। आरोप है कि इस परीक्षा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ, पैसे और सिफारिश के बल पर अयोग्य उम्मीदवारों को चयनित किया गया, जबकि योग्य अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया।
इसके बाद 2010 में हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई को जांच सौंपी गई। सीबीआई ने 2015 में जांच शुरू की और अब 12 साल बाद यह घोटाला अपने अंतिम चरण में पहुंचता दिख रहा है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अगर अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी हो जाता है, तो सीबीआई आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी कर सकती है। साथ ही, यह देखना होगा कि क्या अन्य आरोपी अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल करते हैं या फिर सीबीआई के शिकंजे में आते हैं।
जेपीएससी नियुक्ति घोटाला झारखंड के सबसे चर्चित घोटालों में से एक रहा है, और अब इस पर कानूनी शिकंजा कसने की पूरी तैयारी हो चुकी है। अदालत का अगला कदम क्या होगा, इस पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हुई हैं।
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