पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी इस बार विवादों में घिर गई है। रविवार (23 मार्च) को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित इस कार्यक्रम का इमारत-ए-शरिया समेत कई मुस्लिम संगठनों ने बायकॉट कर दिया। इन संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर नाराजगी जताई है। इस बीच भाजपा ने मुस्लिम संगठनों से आरजेडी की ‘राजनीतिक साजिश’ से बचने की अपील की है।
मुस्लिम संगठनों ने क्यों किया बायकॉट?
इमारत-ए-शरिया, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा हिंद, जमात-ए-इस्लामी हिंद और खानकाह मुजीबिया सहित कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने सामूहिक रूप से इफ्तार कार्यक्रम का बहिष्कार किया। इन संगठनों का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2024 वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के संरक्षण के लिए लाया गया है, लेकिन इसे सही तरीके से लागू करने की जरूरत है।
इमारत-ए-शरिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “वक्फ बोर्ड की करोड़ों की संपत्तियां अवैध कब्जे में जा रही हैं। सरकार को इन संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। बिहार धार्मिक न्यास परिषद ने भी मठ-मंदिरों की जमीनों की नापी शुरू कर दी है, इसलिए मुसलमानों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।”
बीजेपी ने आरजेडी पर साधा निशाना
मामले पर भाजपा भी कूद पड़ी है। बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि इफ्तार का बहिष्कार निंदनीय है और इसे आरजेडी द्वारा राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। उन्होंने मुस्लिम संगठनों से अपील की कि वे आरजेडी की राजनीति से दूर रहें।
प्रभाकर मिश्रा ने कहा, “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबका साथ, सबका विकास के एजेंडे के साथ बिहार को आगे बढ़ा रहे हैं। आरजेडी इसे बदनाम करने में लगी है।”
आरजेडी का पलटवार
बीजेपी के हमले पर आरजेडी ने भी पलटवार किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा, “नीतीश कुमार खुद अपने वोट बैंक को कमजोर कर रहे हैं। मुस्लिम संगठनों का बहिष्कार सरकार के लिए एक चेतावनी है।”
क्या कहता है यह विवाद?
नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी वर्षों से बिहार की राजनीति में एक अहम इवेंट रही है, लेकिन इस बार इसका बायकॉट कई राजनीतिक संकेत दे रहा है। एक तरफ जहां जदयू को अपने पुराने समर्थक मुस्लिम संगठनों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है, वहीं भाजपा इसे आरजेडी की साजिश बताकर अपना राजनीतिक फायदा निकालने की कोशिश कर रही है।
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