मुंबई। गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप अब अंतरिक्ष क्षेत्र में कदम रखने की तैयारी कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सबसे छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) के उत्पादन की दौड़ में अडानी ग्रुप शीर्ष तीन फाइनलिस्ट में शामिल है। इस प्रतिस्पर्धा में दो प्रमुख सरकारी कंपनियां भारत डायनामिक्स लिमिटेड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एच.ए.एल.) भी भाग ले रही हैं। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो अडानी डिफेंस सिस्टम के नेतृत्व में अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज एसएसएलवी के उत्पादन का जिम्मा संभाल सकती है। इससे अडानी ग्रुप भविष्य में वैश्विक स्तर पर एलन मस्क की स्पेसएक्स जैसी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा देने की स्थिति में आ सकता है।
इसरो ने बनाया छोटा- सा रॉकेट SSLV
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का बनाया गया यह एस.एस.एल.वी. एक छोटा-सा रॉकेट है, जिसे बनाने में कम खर्च आया है। इसकी मदद से 500 किलो तक के छोटे सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा (लो-अर्थ ऑरबिट) में लॉन्च करने के लिए बनाया गया है। मौजूदा समय में सैटेलाइट लॉन्च मार्कीट में इस सेगमेंट की बहुत अधिक डिमांड है।
ग्लोबल सैटेलाइट लॉन्च मार्केट में स्पेस एक्स का दबदबा
सन् 2023 में एस.एस.एल.वी. के पहले सफल लॉन्च के बाद भारत सरकार ने इसके प्रोडक्शन और इसकी टैक्नोलॉजी की जिम्मेदारी प्राइवेट इंडस्ट्री को देने का फैसला लिया। यह देश के कमर्शियल स्पेस सैक्टर का दायरा बढ़ाने और ग्लोबल सैटेलाइट लॉन्च मार्कीट को कड़ी टक्कर देने की दिशा में उठाया गया एक कदम था, जहां अभी स्पेसएक्स का दबदबा है। एस.एस.एल.वी. कॉन्ट्रैक्ट के लिए 20 कंपनियों ने बोली लगाई थी। इसमें सबसे आगे रहने वाली कंपनी को मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसैस, एस.एस.एल.वी. की डिजाइन से जुड़ी बारीकियों को समझने और क्वॉलिटी एश्योरैंस ट्रेनिंग के लिए इसरो को लगभग 3 बिलियन रुपए देने होंगे 124 महीने की इस डील में टैक्नीकल सपोर्ट और दो सफल प्रक्षेपण भी शामिल हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह प्राइवेटाइजेशन देश की स्पेस इंडस्ट्री के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।
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