मेदिनीनगर (पलामू)। झारखंड के पलामू जिले में पुलिस प्रशासन ने सख्त एक्शन लिया है। जिले के दो थाना प्रभारियों पर गाज गिरी है। एक को लापरवाही के चलते निलंबित किया गया, जबकि दूसरे पर पुलिस टॉर्चर के आरोप के बाद कार्रवाई हुई। इस फैसले से पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
ई-साक्ष्य अपलोड नहीं करने पर कार्रवाई
पलामू प्रक्षेत्र के डीआईजी वाईएस रमेश ने सतबरवा थाना प्रभारी अंचित कुमार को निलंबित कर दिया है। उन पर मुकदमों से जुड़े ई-साक्ष्य (डिजिटल साक्ष्य) को अपलोड करने में लापरवाही बरतने का आरोप है।
जांच के दौरान यह सामने आया कि पलामू जिले में 11 मामलों से जुड़े ई-साक्ष्य अपलोड नहीं किए गए थे, जबकि लातेहार में 28 और गढ़वा में सात मामलों के ई-साक्ष्य अपलोड किए गए थे। डीआईजी रमेश ने स्पष्ट किया कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने तीनों जिलों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि ई-साक्ष्य अपलोड करने की प्रक्रिया में किसी भी तरह की ढिलाई न बरती जाए।
- अंचित कुमार के निलंबन के बाद सब-इंस्पेक्टर विश्वनाथ कुमार राणा को सतबरवा का नया थाना प्रभारी बनाया गया है।
- सदर थाना प्रभारी उत्तम कुमार राय को लाइन हाजिर कर दिया गया है। उनकी जगह संतोष कुमार गुप्ता को सदर थाना प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पुलिस टॉर्चर से मौत का आरोप, नावाबाजार थाना प्रभारी निलंबित
पलामू जिले के नावाबाजार प्रखंड में एक बेहद गंभीर मामला सामने आया, जहां पुलिस टॉर्चर के चलते एक युवक की मौत हो गई। इस मामले में थाना प्रभारी चिंटू कुमार को निलंबित कर दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
- नावाबाजार निवासी सैयद तुफैल अहमद के बेटे महफूज अहमद (25) को लूट के एक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
- जेल में उसकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे रांची रिम्स में भर्ती कराया गया।
- इलाज के दौरान महफूज की मौत हो गई।
- मृतक की मां सलमा बीबी ने आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत में उसके बेटे की निर्दयतापूर्वक पिटाई की गई, जिसके चलते उसकी हालत बिगड़ी और अंततः उसकी मौत हो गई।
- इस घटना को लेकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा में मामला उठाया था, जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए चिंटू कुमार को निलंबित कर दिया।
- नावाबाजार थाना में संजय कुमार को नया थाना प्रभारी नियुक्त किया गया है।
महकमे में हड़कंप, पुलिस पर बढ़ा दबाव
इस मामले के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। एक तरफ ई-साक्ष्य अपलोड करने में लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की गई है, तो दूसरी ओर पुलिस टॉर्चर के मामले में तत्काल एक्शन लिया गया है।
डीआईजी वाईएस रमेश और एसपी रीष्मा रमेशन ने साफ कर दिया है कि कानून व्यवस्था में लापरवाही करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा और हर महीने मामलों की समीक्षा की जाएगी।
झारखंड पुलिस पर उठ रहे सवाल
महफूज अहमद की मौत के मामले ने झारखंड पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस हिरासत में कथित टॉर्चर से मौत होना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। इस घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश है और पुलिस की कार्यशैली पर बहस तेज हो गई है।
Leave a Reply