पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक और दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके परिवार में संपत्ति को लेकर खींचतान लगातार गहराती जा रही है। अब यह विवाद सार्वजनिक रूप से एक बार फिर तब उभरकर सामने आया, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने अपने भतीजे एवं मौजूदा केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से खुलेआम बिहार के खगड़िया जिले से लेकर दिल्ली तक की संपत्तियों के बंटवारे की मांग कर दी।
पारस बोले- “दिल्ली तक की संपत्ति में चाहिए हिस्सा”
शनिवार को दरभंगा में पत्रकारों से बात करते हुए पशुपति पारस ने कहा, “मैं सिर्फ अपना हक मांग रहा हूं। खगड़िया के पैतृक घर से लेकर दिल्ली तक की सारी संपत्तियों का निष्पक्ष बंटवारा होना चाहिए। कोई भी मुझे मेरा हिस्सा देने से रोक नहीं सकता।”
पारस ने इस दौरान यह भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि, “शिकायत में जिस महिला (राजकुमारी देवी) का नाम है, वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं। उनके अंगूठे का इस्तेमाल करके यह शिकायत दर्ज करवाई गई है, इसकी जांच होनी चाहिए।”
चिराग का पलटवार- “चाचा ने छिपाई कई संपत्तियां”
वहीं केंद्रीय मंत्री और लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने अपने चाचा पर पलटवार करते हुए कहा कि पशुपति पारस ने कई संपत्तियों को छिपाया है और आज बंटवारे की बात कर रहे हैं। शनिवार को खगड़िया के शहरबन्नी गांव में अपनी बड़ी मां से मुलाकात के दौरान चिराग ने मीडिया से बातचीत में कहा, “चाचा पारस पहले खुद अपनी संपत्तियों की जानकारी सार्वजनिक करें, तभी बंटवारे की बात आगे बढ़ेगी। जो वो चाहते हैं, वही होगा।”
चिराग ने यह भी कहा कि पारस द्वारा लोजपा को तोड़ने का फैसला परिवार में बड़ी दरार का कारण बना और आज की स्थिति उसी का परिणाम है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि भी गरमाई
यह संपत्ति विवाद ऐसे वक्त पर सामने आया है जब लोजपा (रामविलास) और रालोजपा दोनों चुनावी मोड में हैं। संसद में वक्फ बोर्ड बिल पर चिराग पासवान द्वारा समर्थन दिए जाने को लेकर भी पशुपति पारस ने असहमति जताई और आरोप लगाया कि “चिराग अपने पिता रामविलास पासवान के विचारों से भटक चुके हैं।”
पासवान परिवार का यह विवाद अब सिर्फ पारिवारिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है। जहां एक ओर चिराग अपने पिता की विरासत को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं चाचा पारस खुद को परिवार और पार्टी का असली वारिस मानते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संपत्ति विवाद का क्या राजनीतिक असर होता है और क्या यह मामला कोर्ट की चौखट तक पहुंचता है या आपसी सहमति से सुलझाया जा सकेगा।
https://indiafirst.news/paswan-family-property-dispute-chirag-vs-paras
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