नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज डॉ. पवन गोयनका का नाम ऑटोमोबाइल और अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने वाले व्यक्ति में शुमार किया जाता है। हाल ही में महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर गोयनका के योगदान को याद करते हुए उनके साथ अपने भावनात्मक रिश्ते को साझा किया।
अमेरिका छोड़ भारत लौटने का बड़ा फैसला
डॉ. पवन गोयनका की कहानी 1990 के दशक से शुरू होती है, जब वे अमेरिका में जनरल मोटर्स के R&D सेंटर में एक शानदार करियर बना चुके थे। लेकिन भारत में कुछ नया करने की चाहत ने उन्हें स्वदेश लौटने के लिए प्रेरित किया। इसी दौरान आनंद महिंद्रा ने उन्हें महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) में शामिल होने के लिए राजी किया और नासिक प्लांट के R&D डिवीजन का डिप्टी हेड बनाया।
हालांकि, जब गोयनका ने नासिक प्लांट का दौरा किया, तो वहां की स्थिति देखकर वे चौंक गए। रिसर्च और डेवलपमेंट की हालत बेहद खराब थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में बड़ा बदलाव लाने के लिए कमर कस ली।
महिंद्रा स्कॉर्पियो और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़ा बदलाव
शुरुआती चुनौतियों से पार पाते हुए डॉ. गोयनका ने महिंद्रा के R&D को मजबूत किया और कंपनी को इनोवेशन के नए दौर में ले गए। उनके नेतृत्व में महिंद्रा स्कॉर्पियो जैसी आइकॉनिक SUV बनी, जिसने भारतीय सड़कों पर तहलका मचा दिया। यही नहीं, उन्होंने एक विश्वस्तरीय R&D सेंटर की नींव रखी, जिससे महिंद्रा ऑटोमोबाइल उद्योग में ग्लोबल स्तर पर पहचान बनाने में सफल रही।
समय के साथ डॉ. गोयनका महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO बने। इस दौरान उन्होंने कंपनी की ग्रोथ को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया।
XEV 9e खरीदते वक्त छलका आनंद महिंद्रा का भावनात्मक जुड़ाव
हाल ही में जब डॉ. पवन गोयनका और उनकी पत्नी ममता ने महिंद्रा की नई इलेक्ट्रिक SUV XEV 9e खरीदी, तो आनंद महिंद्रा के लिए यह सिर्फ एक साधारण कार खरीदने की घटना नहीं थी। यह उस यात्रा का प्रतीक था, जिसमें गोयनका ने महिंद्रा के ऑटोमोबाइल सेक्टर को नए मुकाम तक पहुंचाया और अब वे उसी तकनीक को अपनाते नजर आए, जिसे विकसित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
रिटायरमेंट के बाद अंतरिक्ष क्षेत्र में अहम भूमिका
2021 में M&M से रिटायर होने के बाद भी डॉ. पवन गोयनका का सफर खत्म नहीं हुआ। उन्हें भारत सरकार ने IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Center) का चेयरमैन बनाया, जो देश में अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
उनकी उत्कृष्ट सेवाओं को सम्मानित करते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा।
शिक्षा और करियर की ऊंचाइयां
डॉ. पवन गोयनका की शैक्षिक पृष्ठभूमि भी बेहद प्रभावशाली रही है:
- IIT कानपुर से B.Tech
- कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से Ph.D.
- हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम
उनका करियर 40 साल से अधिक का रहा, जिसमें उन्होंने 14 साल जनरल मोटर्स में और 28 साल महिंद्रा एंड महिंद्रा में बिताए। वर्तमान में वे IIT मद्रास के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन हैं और भारत सरकार के SCALE (Steering Committee for Advancing Local Value-Add and Exports) कमेटी का नेतृत्व कर रहे हैं।
भारत के औद्योगिक और तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान
डॉ. पवन गोयनका की यात्रा एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिन्होंने न केवल भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति लाई, बल्कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भी नई संभावनाओं के द्वार खोले। उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि कैसे एक मजबूत नेतृत्व, नवाचार और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाए जा सकते हैं।
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