संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जीनिया में 29 जनवरी की रात 10 बजे के करीब जो हुआ उससे पूरे अमेरिका को शोक की लहर में डूबा दिया। बताया जाता है कि विमान की घटना 9 बज करके 48 मिनट में घटित हुई। इसके वजह से विमान से यात्रा को लेकरके यात्री डरे हुए हैं। अब लोगों को लगने लगा है कि हवाई सफर करना भी सुरक्षा की गारंटी नहीं रही। इसका कारण आए दिन विश्वभर में लगातार आ रही विमान की घटनाएं हैं। वर्जीनिया के आर्लिंगटन में स्थित रीगन राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास घटित घटना से, अब-तक 28 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। इस तरह की घटना बार-बार होना। कई तरह के सवाल पूछने को मजबूर कर देता है। इस हादसे में कुल 28 लोगों की जानें गई जिसमें 25 हवाई जहाज के यात्री और 3 सैन्य कर्मियों ने अपनी जानें गंवाए। एक आकंड़े के अनुसार वर्ष 2024 में, विश्वभर में 33 हवाई घटनाएं-घटी जिसके कारण 200 से ज्यादा लोगों की जानें गंवानी पड़ी।
दुर्घटना घटने का कारण –
प्राथमिक चरण में हुए जांच से पता चलता है कि, इतना बड़ा हादसा होने का सबसे बड़ा कारण। हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज के बीच आपस में टक्कर होने की वजह को बताया गया। दोनों के बीच आपसी टक्कर के बाद बर्फीली पोटोमैक नदी पर गिरि। हालांकि बताते चलें कि अबतक आधिकारिक जांच रिपोर्ट पेश नहीं किया गया। फिलहाल स्थानीय प्रशासन का पूरा ध्यान बचाव और राहत कार्यों पर है। रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देना चुनौतियों से भरा पड़ा है। वहां की मौसम भी परिस्थितियों के अनुरूप नहीं, बल्कि ठीक इसके विपरीत है क्योंकि वहां पर अभी बर्फ़ जमी हुई है, ठंड काफी है, इससे रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा इसलिए ऑपरेशन को अंजाम देने में समय लगा।

हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर में बैठे सदस्यों की संख्या –
एफएफए (संघीय उड्डयन प्रशासन) और एनटीएसबी (राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड) के अनुसार अमेरिकन ईगल फ्लाइट 5342 में कुल 64 लोग (60 पैसेंजर और 4 क्रू सदस्य) वहीं यूएस आर्मी के ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर में कुल 3 सैन्य कर्मी सवार रहे। इससे अब तक 28 लोगों की मृत्यु हो गई जबकि 18 हॉस्पिटल में भर्ती है जिनका अभी इलाज चल रहा है। वहीं 21 यात्रियों को बचाया गया। मृत्यों की संख्या बढ़ सकती है। बचे हुए सभी घायलों को अच्छी तरह से इलाज किया जा रहा है। एजेंसियों का कहना है कि अभी जांच जारी है। इसलिए अभी इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है कि, इस त्रासदी के पीछे एक षडयंत्र है या फिर अन्य तकनीकी कारण। दोनों एजेंसियां इस पर गहराई और आपसी तालमेल बैठा करके जांच आगे बढ़ा रही है। अब जांच के बाद ही पता चलेगा कि घटना का असल वजह आखिर क्या है ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया –
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस पूरे मामले को लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truthsocial में कहा कि दुर्घटना घाटी नहीं बल्कि कराया गया है। अगर इसमें किसी की संलिप्तता पाई गई तो उन सब पर कड़ी से कड़ी कारवाही किया जाएगा। ट्रंप का मानना है कि जब फ्लाइट अपने गंतव्य की ओर बिल्कुल सही दिशा में जा रही हो, लाइटें जल रही हो, फिर अचानक से विमान का दूसरे हेलीकॉप्टर से टकराना समझ से परे है। उनका यह भी कहना है कि आखिर हेलीकॉप्टर क्यों नहीं ऊपर – नीचे गया और न ही मुड़ा। जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ। इसके साथ उन्होंने कंट्रोल टावर पर निशाना साधा और कहा कि जब हेलीकॉप्टर को देखा, तो फिर उसे टकराने से रोका क्यों नहीं। समय रहते अगर कंट्रोल टावर हेलीकॉप्टर को आगाह कर देता तो विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं होता। ट्रंप ने कहा कि इस पर ठीक से जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। वहीं इस मामले से जुड़े एजेंसियों ने कहा की हम सभी एंगल से इसकी जांच करेंगें। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद ही हादसे के पीछे की जानकारियां मिल पाएगी।

बचाव दल की त्वरित एक्शन से बची जानें –
यूएसए सरकार के अनुसार घटना – घटने के तुरंत बाद बिना किसी तरह की देरी किए 300 बचाव दल को घटना स्थल की ओर भेज दिया गया। फायर सेफ्टी विभाग को तुरंत एक्टिव किया गया और राहत बचाव कार्य करना शुरू कर दिया। रीगन राष्ट्रीय हवाई अड्डे को पूरी तरह से बंद का दिया ताकि रेस्क्यू में किसी तरह का बाधा उत्पन्न न हो। इसके अलावा आने वाली सभी फ्लाइट को वाशिंगटन डूलेस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर डायवर्ट कर दिया गया। जिसके कारण कई फ्लाइट्स को रनवे पर उतरने में 15 से 30 मिनट की देरी हो रही है। स्वाभाविक सी बात है कि, अगर कहीं किसी भी तरह की घटनाएं घटती है, तो फिर उसके आस पास इलाकों को बंद कर दिया जाता है या कहें कि सील कर दिया जाता है ताकि रेस्क्यू ऑपरेशन का जल्द से जल्द बिना देरी किए पूरा किया सके। यह सच है की लोगों को इससे असुविधाएं जरूर हो रही। वहीं अधिकारियों का कहना है कि बचाव कार्य खत्म होने के बाद एयरपोर्ट को फिर से खोल दिया जाएगा।

रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी, खराब मौसम बनी वजह –
जिस स्थान पर प्लेन क्रैश हुआ वहां पर 30 Km प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं, हवा का तापमान क्रैश के समय 50 डिग्री फारेनहाइट और पोटोमैक नदी की तापमान 35 डिग्री फारेनहाइट रही। इस तरह की चुनौतियों से जूझते हुए ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। अगर देखा जाए तो इस तरह की मौसमी मार से रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी होना स्वाभाविक से बात है। आमतौर पर ठंड के मौसम में अमेरिका के ज्यादातर इलाकों में बहुत ज्यादा बर्फबारी देखी जाती है।

अमेरिका के इतिहास में ऐसे कई घटनाएं घाटी –
अमेरिका के इतिहास में ऐसे कई घटनाएं घाटी जो पूरी दुनिया को हिल करके रख दिया। 2001 में हुई घटना को सबसे घातक माना जाता है। इससे सभी लोग वाकिफ हैं। हालांकि इसे एक्सीडेंट की श्रेणी में नहीं रखा गया इसे आतंकवादी हमला करार दिया गया। 25 मार्च 1979 में अमेरिका एयरलाइंस फ्लाइट से 271 लोगों की जानें गई। वहीं 2009 में कोलगान एयर फ्लाइट के क्रैश होने से 50 लोगों की जानें चली गई। हालांकि समय के साथ तकनीक को जोड़े जाने से इसमें कमी भी देखा गया। अभी एयरलाइंस कंपनियों को काफी सुधार करने की आवश्यकता है जिस पर उन्हें ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। तभी इस तरह की त्रासदी को रोका जा सकता है।

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https://indiafirst.news/plane-crash-in-us-28-people-dead
https://truthsocial.com/@realDonaldTrump/113915617049801010
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