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नाटककार राजेश कुमार: समाज की धड़कन को मंच पर उकेरने वाला जनवादी रचनाकार

नाटककार राजेश कुमार: समाज की धड़कन को मंच पर उकेरने वाला जनवादी रचनाकार

नाटक और रंगमंच की दुनिया में एक ऐसा नाम, जिसने अपने लेखन, निर्देशन और अभिनय के जरिए समाज की गूढ़ समस्याओं को सजीव रूप में प्रस्तुत किया, वह हैं राजेश कुमार। बहुमुखी प्रतिभा के धनी और जनवादी दृष्टिकोण के प्रतिष्ठित लेखक राजेश कुमार का जन्म 11 जनवरी 1958 को बिहार के पटना शहर में हुआ।
विज्ञान के छात्र और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर के रूप में करियर शुरू करने वाले राजेश कुमार ने अपनी लेखक-मन को कभी दूर नहीं होने दिया। उन्होंने साहित्य और रंगमंच को अपना जीवन समर्पित करते हुए समाज के हाशिए पर खड़े तबकों की आवाज को मंच तक पहुंचाया। उनके नाटकों की सरल, सहज भाषा और यथार्थ से भरी कहानियों ने दर्शकों और पाठकों दोनों को समान रूप से प्रभावित किया है।

• रंगमंच और लेखन की शुरुआत

• रंगमंच और लेखन की शुरुआत

राजेश कुमार ने अपनी साहित्यिक यात्रा कहानियों से शुरू की। उनकी शुरुआती कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्रिकाओं जैसे सारिका, धर्मयुग, और सबलोग में प्रकाशित हुईं। हालांकि, विद्यार्थी जीवन में ही रंगमंच के प्रति उनकी रुचि विकसित हो चुकी थी। उन्होंने नुक्कड़ नाटकों में अभिनय और लेखन शुरू किया और आज तक उनके 24 नुक्कड़ नाटक प्रकाशित हो चुके हैं। इसके बाद, उन्होंने पूर्णकालिक नाटकों की ओर रुख किया और अब तक 22 पूर्णकालिक नाटक लिख चुके हैं।

• प्रमुख नाटकों और विषयों की विविधता

राजेश कुमार के नाटकों में समाज के यथार्थ और वंचित वर्ग की पीड़ा का अद्भुत समावेश है। उनके नाटक अंबेडकर और गांधी, घर वापसी, तफ्तीश, सपने हर किसी को नहीं आते, हिंदू कोड बिल, और कौन कमबख्त कहता है कि गोडसे मर गया जैसे विषयों पर आधारित हैं। इन नाटकों में समाज के ज्वलंत मुद्दों, सांस्कृतिक संघर्ष, जातीय भेदभाव, और सामाजिक न्याय को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

• साहित्य और रंगमंच में योगदान

• साहित्य और रंगमंच में योगदान
राजेश कुमार द्वारा लिखित नाटक ‘कह रैदास खलास चमारा’ का एक दृश्य

राजेश कुमार सिर्फ नाटककार नहीं हैं, बल्कि एक कुशल निर्देशक और अभिनेता भी हैं। वे अपने नाटकों का निर्देशन करते हैं और मंच-सज्जा, संगीत योजना, प्रकाश व्यवस्था और अभिनय जैसे सभी कार्यों में कुशलता दिखाते हैं। उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें रंगमंच की दुनिया में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। उनके नाटकों का मंचन देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ किया जाता है।

• समाज के प्रति प्रतिबद्धता

राजेश कुमार के नाटकों में समाज के वंचित वर्ग की समस्याओं का सजीव चित्रण देखने को मिलता है। उनकी रचनाओं में पीड़ा, संघर्ष और यथार्थ की अभिव्यक्ति है, जो सीधे दर्शकों और पाठकों के दिलों को छूती है। उनकी जनवादी सोच और सजीव लेखन शैली ने उन्हें समकालीन साहित्य में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है।

• एक आदर्श व्यक्तित्व

फिलहाल दिल्ली में रह रहे राजेश कुमार जितने कुशल लेखक हैं, उतने ही मिलनसार और सरल स्वभाव के व्यक्ति भी हैं। उनके लेखन और निर्देशन ने न केवल समाज की समस्याओं को उजागर किया, बल्कि उन्हें सुलझाने का प्रयास भी किया।

भविष्य की योजनाएँ

• भविष्य की योजनाएँ

राजेश कुमार लगातार नए विषयों पर काम कर रहे हैं। जल्द ही उनके अन्य नाटक और उपन्यास प्रकाश में आने वाले हैं। उनकी लेखनी और रंगमंच की यह यात्रा समाज को नए दृष्टिकोण देने का काम करती रहेगी।
राजेश कुमार ने यह साबित किया है कि नाटककार होना जितना चुनौतीपूर्ण है, उससे अधिक कठिन और महत्वपूर्ण है समाज को सही दिशा देने वाले विचारों को मंच तक पहुंचाना। उनके योगदान ने उन्हें एक सफल, संवेदनशील और समकालीन नाटककार के रूप में स्थापित किया है।

Article By-

सीमरन कुमारी (लेखक, स्वतंत्र पत्रकार)

सिमरन कुमारी, राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय,अरुणाचल प्रदेश (हिंदी विभाग) की शोधार्थी ( PhD Research Scholar ) हैं। लगातार लेखन और शोध में सक्रिय हैं।

https://indiafirst.news/playwright-rajesh-kumar-eminent-creator

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