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झारखंड में राजनीतिक तकरार: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भाजपा का बकाया राशि को लेकर गलत नैरेटिव फैलाने का आरोप

झारखंड में राजनीतिक तकरार: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भाजपा का बकाया राशि को लेकर गलत नैरेटिव फैलाने का आरोप

रांची: झारखंड की राजनीति में बकाया राशि को लेकर घमासान मचा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर केंद्र सरकार के खिलाफ 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि को लेकर गलत नैरेटिव गढ़ने का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मुख्यमंत्री सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या कर रहे हैं और राज्य की जनता को गुमराह कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या?

भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अगस्त 2024 में मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं अन्य के मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया था। इस आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि राज्यों की बकाया राशि का भुगतान 12 वर्षों में 12 किस्तों में किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, यह भुगतान 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा और 1 अप्रैल 2037 तक चलेगा। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जनता को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि केंद्र सरकार झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपये दबाए बैठी है, जबकि ऐसा नहीं है।”

1.36 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा कहां से आया?

भाजपा ने मुख्यमंत्री सोरेन से यह स्पष्ट करने की मांग की कि यह आंकड़ा आखिर आया कहां से। शाहदेव ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि 25 जुलाई 2024 से पहले की किसी भी बकाया राशि पर ब्याज और पेनाल्टी नहीं जोड़ी जाएगी। बावजूद इसके, राज्य सरकार 60,000 करोड़ रुपये के ब्याज का दावा कर रही है, जो न्यायालय के आदेश के खिलाफ है।

“यह पूरी तरह से जनता को भ्रमित करने का प्रयास है। मुख्यमंत्री पहले इस आदेश का स्वागत कर चुके हैं, लेकिन अब चुनावी लाभ के लिए इसे तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं,” – प्रवक्ता प्रतुल नाथ शहदेव

चुनावी वादे और वित्तीय संकट

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हेमंत सोरेन ने चुनाव से पहले कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की थी, जिन पर अगले पांच वर्षों में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपने आंतरिक संसाधनों से यह धन जुटाने में असफल हो रही है, इसलिए केंद्र सरकार पर बकाया राशि का झूठा दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।

“मुख्यमंत्री को एहसास हो गया है कि वे अपने चुनावी वादों को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए अब वे जनता को भ्रमित कर रहे हैं कि केंद्र सरकार ने झारखंड के पैसे रोक रखे हैं,” – प्रतुल नाथ शाहदेव

राजनीतिक बयानबाजी या हकीकत?

भाजपा और झामुमो के बीच यह तनातनी आगे क्या मोड़ लेगी, यह देखने वाली बात होगी। राज्य की जनता इस पूरे घटनाक्रम को करीब से देख रही है। यह स्पष्ट है कि झारखंड की राजनीति में केंद्र बनाम राज्य की यह लड़ाई अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकती है।

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