IndiaFirst.News पटना: जन सुराज अभियान के प्रमुख प्रशांत किशोर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजे जाने के बाद बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है। उन्हें पटना के चर्चित बेऊर जेल में रखा गया है, जहां उनकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। प्रशांत किशोर ने सशर्त जमानत लेने से इनकार करते हुए स्पष्ट किया कि यदि युवाओं के अधिकारों और न्याय के लिए आवाज उठाना अपराध है, तो उन्हें जेल जाना स्वीकार है।
जान लें.. मामला क्या है ?
प्रशांत किशोर BPSC की PT परीक्षा रद्द कर फिर से एग्जाम लेने समेत पांच सूत्री मांगों को लेकर 2 जनवरी से आमरण अनशन पर थे। पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि गैर कानूनी तरीके से प्रतिबंधित क्षेत्र में धरना प्रदर्शन करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया। प्रशांत किशोर के 43 समर्थकों को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।

सशर्त जमानत लेने से इनकार
प्रशांत किशोर ने अदालत में पेशी के दौरान जमानत की शर्तों को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं बिहार के युवाओं के भविष्य के लिए लड़ रहा हूं। यदि अन्याय के खिलाफ खड़े होने की सजा जेल है, तो मैं खुशी-खुशी इसे स्वीकार करता हूं।” बता दें की कोर्ट की शर्तों के आधार पर बेल नहीं लेने के बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में पटना के बेऊर जेल भेज दिया गया है।
बेऊर जेल के बाहर सुरक्षा कड़ी
प्रशांत किशोर के जेल में भेजे जाने के बाद बेऊर जेल के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। जन सुराज अभियान के समर्थक बड़ी संख्या में जेल के बाहर जुटे हुए हैं, जो प्रशांत किशोर के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं।
जेल के अंदर आमरण अनशन का एलान
जेल में भेजे जाने के बाद भी प्रशांत किशोर ने अपने आंदोलन को जारी रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि उनका आमरण अनशन अब जेल के भीतर जारी रहेगा। प्रशांत किशोर के इस कदम को बिहार के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में व्यापक समर्थन मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा, “जब तक युवाओं को उनका हक और न्याय नहीं मिलता, मैं अपने संकल्प से पीछे नहीं हटूंगा।”
मामले को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी और आमरण अनशन को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर तेज हो गया है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है। राजद, कांग्रेस, और वाम दलों ने प्रशांत किशोर के समर्थन में बयान जारी किए हैं। वहीं, सत्तारूढ़ दल ने इस मामले को कानून व्यवस्था से जुड़ा बताते हुए कार्रवाई को सही ठहराया है।

प्रशांत किशोर के समर्थकों में उबाल
जन सुराज अभियान के समर्थक इस फैसले से नाराज हैं। पटना सहित कई जिलों में प्रदर्शन हो रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि प्रशांत किशोर ने हमेशा बिहार के विकास और युवाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह अनुचित है।
जेल में प्रशासन की तैयारी
बेऊर जेल प्रशासन ने प्रशांत किशोर के आमरण अनशन को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं की विशेष व्यवस्था की है। डॉक्टरों की एक टीम उनकी सेहत पर लगातार नजर रख रही है।
प्रशांत किशोर की आगे की रणनीति
प्रशांत किशोर के इस कदम ने बिहार में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उनकी रिहाई और आंदोलन के अगले चरण पर सबकी नजर है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जन सुराज अभियान और बिहार की जनता इस मुद्दे पर किस तरह की प्रतिक्रिया देती है।
प्रशांत किशोर का जेल में आमरण अनशन न केवल युवाओं के लिए न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन रहा है, बल्कि यह बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत भी कर रहा है।

सरकार पर बढ़ा दबाव
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का यह कदम सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। उनकी रणनीति और जमीनी पकड़ को देखते हुए, यह आंदोलन बिहार की राजनीति में एक नई लहर ला सकता है।
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