नई दिल्ली। झारखंड की स्टार हॉकी खिलाड़ी और भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रतिष्ठित अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। सलीमा यह पुरस्कार पाने वाली झारखंड की पहली महिला और दूसरी हॉकी खिलाड़ी बन गई हैं। इससे पहले 1972 में झारखंड के ओलंपियन स्वर्गीय माइकल किंडो को यह सम्मान मिला था।
झारखंड की पहचान बनीं सलीमा टेटे
सलीमा टेटे झारखंड के सिमडेगा जिले के बड़की छापर गांव की रहने वाली हैं। उन्होंने कठिनाइयों से भरे अपने बचपन में बांस की स्टिक से हॉकी खेलना शुरू किया। उनके पिता सुलक्षण टेटे, जो स्वयं एक हॉकी खिलाड़ी रह चुके हैं, ने उनकी शुरुआती कोचिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रारंभिक संघर्ष और सफलता की कहानी

सलीमा का सफर आसान नहीं था। आर्थिक अभाव के बावजूद उन्होंने अपने खेल के प्रति समर्पण बनाए रखा। 2011 में, उन्होंने पहली बार लठ्ठाखम्हन प्रतियोगिता में भाग लिया और सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीता। उनकी प्रतिभा को हॉकी सिमडेगा के तत्कालीन संयुक्त सचिव मनोज कोनबेगी ने पहचाना, जिसके बाद उन्होंने सलीमा का मार्गदर्शन किया।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमका करियर

2013 में सलीमा को सिमडेगा के हॉकी आवासीय सेंटर में जगह मिली। 2014 में उन्होंने झारखंड की सब-जूनियर टीम में खेलते हुए अपनी पहचान बनाई। 2016 में उन्हें पहली बार जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में चुना गया और स्पेन दौरे पर भेजा गया।
सलीमा ने 2018 के यूथ ओलंपिक में भारतीय टीम की कप्तानी करते हुए रजत पदक जीता। 2024 में वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बनाई गईं।
सलीमा की उपलब्धियां झारखंड के लिए गौरव

सलीमा टेटे की मेहनत और उपलब्धियां न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा हैं। अर्जुन अवार्ड से सम्मानित होने के बाद सलीमा ने कहा, “यह मेरे परिवार, कोच और झारखंड के लोगों की दुआओं का परिणाम है। मैं भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करूंगी।”
सलीमा टेटे की कहानी बताती है कि संघर्ष और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। झारखंड सरकार और स्थानीय खेल संघों ने सलीमा की सफलता पर गर्व जताया और युवा खिलाड़ियों को उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

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