नई दिल्ली: भारत की ट्रेनें किसी भी यात्री के सफर का अभिन्न हिस्सा रही हैं। पहले भाप और फिर डीजल इंजन के दौर के बाद, अब भारतीय रेलवे ज्यादातर इलेक्ट्रिक ट्रेनों पर निर्भर है। देश भर में हर दिन करीब 13,000 ट्रेनें चलाई जाती हैं, और इनमें से अधिकतर ट्रेनें अब बिजली से संचालित होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनमें से कौन सी ट्रेन सबसे ज्यादा बिजली की खपत करती है? क्या भारतीय रेलवे की लंबी दूरी की ट्रेनें अधिक बिजली खपत करती हैं, या फिर मेट्रो ट्रेनें जो शहरी परिवहन का मुख्य आधार बन चुकी हैं?
इस रिपोर्ट में हम इसी रोचक विषय पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि किस परिवहन माध्यम की बिजली खपत सबसे अधिक होती है और इसके पीछे क्या कारण हैं।
रेलवे और मेट्रो: बिजली की खपत का गणित
भारतीय रेलवे की बिजली खपत
भारतीय रेलवे न केवल देश की सबसे बड़ी परिवहन प्रणाली है, बल्कि यह दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है। रेलवे के ट्रैक पर रोजाना हजारों ट्रेनें दौड़ती हैं, जिनमें कुछ ट्रेनें लंबी दूरी की होती हैं और कुछ लोकल पैसेंजर ट्रेनें।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नॉन-एसी कोच वाली इलेक्ट्रिक ट्रेनें प्रति घंटे लगभग 120 यूनिट बिजली की खपत करती हैं। वहीं, एसी कोच वाली ट्रेनों की बात करें तो ये प्रति घंटे 210 यूनिट तक बिजली की खपत कर सकती हैं। चूंकि भारतीय रेलवे को एक यूनिट बिजली का औसत खर्च 7 रुपये बैठता है, इसलिए हर दिन रेलवे के संचालन पर बिजली का खर्च करोड़ों में चला जाता है।
मेट्रो ट्रेन की बिजली खपत
मेट्रो ट्रेनें शहरी यातायात को सुगम बनाने के लिए शुरू की गई थीं। आज दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई और कई अन्य शहरों में मेट्रो रेल सेवा लोगों के लिए एक अनिवार्य साधन बन चुकी है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) की बात करें तो यह पूरे दिल्ली की कुल बिजली खपत का 2.5% हिस्सा अकेले उपयोग करती है। दिल्ली मेट्रो को हर दिन लगभग 30 लाख यूनिट बिजली की जरूरत होती है।
दिल्ली मेट्रो को उत्तर प्रदेश और हरियाणा से भी बिजली की आपूर्ति होती है, ताकि इसकी जरूरतें पूरी की जा सकें। इस प्रकार, मेट्रो ट्रेनें भी बिजली की एक बड़ी खपत करने वाली परिवहन प्रणाली बन चुकी हैं।
कौन ज्यादा बिजली खर्च करता है: रेलवे या मेट्रो?
अब सवाल यह उठता है कि क्या मेट्रो ज्यादा बिजली खपत करती है या फिर भारतीय रेलवे की पारंपरिक ट्रेनें?
अगर कुल आंकड़ों की बात करें तो भारतीय रेलवे की कुल बिजली खपत मेट्रो से कहीं ज्यादा है, क्योंकि इसका नेटवर्क बहुत बड़ा है और इसमें लंबी दूरी की ट्रेनें शामिल हैं। लेकिन अगर प्रति किलोमीटर खपत की तुलना की जाए, तो मेट्रो ट्रेनें रेलवे की लंबी दूरी की ट्रेनों की तुलना में अधिक बिजली खर्च करती हैं।
मेट्रो ट्रेनें ज्यादा बिजली क्यों खर्च करती हैं?
- बार-बार रुकने की जरूरत: मेट्रो ट्रेनों को हर कुछ किलोमीटर पर रुकना पड़ता है, जिससे ब्रेकिंग और री-एक्सीलरेशन के कारण ज्यादा ऊर्जा की खपत होती है।
- तेज स्पीड और फास्ट ऑपरेशन: मेट्रो ट्रेनों को शहरों में तेजी से चलाने की जरूरत होती है, जिससे इंजन पर अधिक लोड आता है और बिजली की खपत बढ़ जाती है।
- स्टेशनों की बिजली खपत: मेट्रो स्टेशनों पर भी काफी बिजली खर्च होती है, जैसे लिफ्ट, एस्केलेटर, एयर कंडीशनिंग, रोशनी, और अन्य सुविधाएं।
- पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ऑपरेशन: मेट्रो पूरी तरह से बिजली पर निर्भर होती है, जबकि रेलवे में अब भी कुछ डीजल इंजनों का उपयोग किया जाता है, जिससे उसकी कुल बिजली खपत तुलनात्मक रूप से कम हो जाती है।
भारतीय रेलवे की बिजली खपत ज्यादा क्यों है?
- लंबी दूरी की ट्रेनें: भारतीय रेलवे की लंबी दूरी की ट्रेनें कई घंटों तक चलती हैं, जिससे उनकी कुल बिजली खपत बहुत अधिक होती है।
- एसी कोच की ज्यादा मांग: प्रीमियम ट्रेनों में अधिकतर एसी कोच होते हैं, जिससे बिजली की खपत बढ़ जाती है।
- बड़ी संख्या में ट्रेनें: भारतीय रेलवे हर दिन करीब 13,000 ट्रेनें चलाता है, जिससे कुल बिजली खपत बहुत ज्यादा हो जाती है।
क्या भारतीय रेलवे और मेट्रो को ज्यादा ऊर्जा-कुशल बनाया जा सकता है?
ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए भारतीय रेलवे और मेट्रो दोनों विभिन्न कदम उठा रहे हैं।
रेलवे में ऊर्जा बचत के उपाय
- सोलर पैनल का उपयोग: भारतीय रेलवे अब ट्रेन की छतों पर सोलर पैनल लगाने की योजना बना रहा है, ताकि ट्रेन की आंतरिक बिजली जरूरतों को पूरा किया जा सके।
- इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में सुधार: नए लोकोमोटिव डिजाइन किए जा रहे हैं, जो कम बिजली खपत करें और अधिक ऊर्जा-कुशल बनें।
- रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम: इस तकनीक का उपयोग ट्रेन की ब्रेकिंग ऊर्जा को दोबारा उपयोग करने के लिए किया जाता है।
मेट्रो में ऊर्जा बचत के उपाय
- रिजेनरेटिव ब्रेकिंग: मेट्रो में यह तकनीक पहले से उपयोग की जा रही है, जिससे ब्रेक लगने पर उत्पन्न ऊर्जा को वापस सिस्टम में भेजा जाता है।
- LED लाइट्स और ऊर्जा-कुशल सिस्टम: स्टेशनों पर ऊर्जा-कुशल लाइटिंग और उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग: दिल्ली मेट्रो अब राजस्थान और अन्य जगहों से सौर ऊर्जा खरीद रही है।
अगर कुल बिजली खपत की बात करें तो भारतीय रेलवे की खपत मेट्रो से कहीं अधिक है। लेकिन अगर प्रति किलोमीटर खपत का आकलन किया जाए, तो मेट्रो ट्रेनें ज्यादा बिजली खर्च करती हैं।
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