रजरप्पा, रामगढ़। झारखंड में जमीन घोटालों की फेहरिस्त में एक और मामला जुड़ गया है। रामगढ़ जिले के रजरप्पा थाना क्षेत्र अंतर्गत मायल मौजा में 1.34 एकड़ जमीन को फर्जीवाड़े से बेच दिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। असली मालिक, चितरपुर निवासी शंकर कुमार चौरसिया, अब डीड रद्द कराने के लिए कोर्ट की चौखट पर हैं और प्रवर्तन निदेशालय (ED) में भी शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
कैसे हुआ घोटाला?
शंकर चौरसिया का आरोप है कि 19 जून 2023 को उन्होंने रजरप्पा थाना क्षेत्र के गोपाल चौधरी और पवन कुमार शर्मा को 3.5 एकड़ जमीन के लिए एक पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी। ये एकरारनामा सिर्फ पावर ट्रांसफर के लिए था, न कि बिक्री के लिए। इसमें स्पष्ट रूप से यह लिखा गया था कि संपत्ति बेचने की स्थिति में जमीन मालिक को पूरी कीमत दी जाएगी।
लेकिन आरोप है कि दोनों ने इस पावर का दुरुपयोग कर कुल 1.34 एकड़ जमीन की डील कर डाली और कथित तौर पर जमीन की कीमत — 1.27 करोड़ रुपये- का भुगतान तक नहीं किया।
हरकी पौंडी कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर पर गंभीर आरोप
इस जमीन की खरीद में हरकी पौंडी कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर हर्ष कुमार चौधरी का नाम भी सामने आया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने शंकर चौरसिया को 67 लाख 25 हजार रुपये चेक के माध्यम से भुगतान किया था। लेकिन जब कोर्ट ने उनके बैंक स्टेटमेंट की जांच की, तो पाया कि उस समय उनके खाते में महज 45,700 रुपये थे। इसी आधार पर निचली अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। फिलहाल वे पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं।
कानूनी लड़ाई और ईडी की संभावित जांच
शंकर चौरसिया ने इस मामले में 30 जनवरी 2025 को रजरप्पा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अब वे न सिर्फ डीड रद्द कराने की कानूनी प्रक्रिया में लगे हैं, बल्कि इस मामले को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास भी ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। ईडी झारखंड में जमीन घोटालों की जांच पहले से ही कर रही है — रांची और बोकारो के बाद अब रामगढ़ का यह मामला भी उनके रडार पर आ सकता है।
खाता नंबर 157 और 535 की जमीन बनी विवाद का केंद्र
यह विवादित जमीन मायल मौजा के खाता संख्या 157 और 535 से जुड़ी है। जमीन के मूल दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़, फर्जी भुगतान और पावर ऑफ अटॉर्नी के दुरुपयोग के इस मामले ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।
क्या कहता है कानून?
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की धोखाधड़ी BNS की कई धाराओं में गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है। अगर ईडी इस मामले में प्रवेश करती है, तो मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच भी हो सकती है।
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