रांची। झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें विभाग और कोषागार के बीच की सांठगांठ ने सरकारी खजाने को तगड़ा नुकसान पहुंचाया। इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड कैशियर संतोष कुमार बताया जा रहा है, जिसने सिस्टम की खामियों और आंतरिक मिलीभगत का फायदा उठाकर 20 करोड़ रुपये की अवैध निकासी को अंजाम दिया।
कैसे रचा गया घोटाले का तानाबाना
जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, संतोष कुमार ने पेयजल विभाग और कोषागार के बीच समन्वय का दुरुपयोग करते हुए एक सुनियोजित फर्जीवाड़ा खड़ा किया। सामान्यतः किसी भी वित्तीय निकासी के लिए डीडीओ (Drawing and Disbursing Officer) के रूप में कार्यपालक अभियंता का नाम दर्ज होता है, लेकिन यहां चालाकी से पे-आईडी में मोबाइल नंबर संतोष कुमार का दर्ज किया गया था। इसी माध्यम से वह सीधे वित्तीय प्रक्रियाओं को प्रभावित कर रहा था।
निकाले गए पैसे सीधे तौर पर संतोष कुमार के निजी बैंक खाते में जमा होते थे, जिसके बाद उसे अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया जाता था। इस काम में लेखापाल अर्चना कुमारी, शैलेंद्र सिंह और दीपक कुमार यादव की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य प्रमंडल बना भ्रष्टाचार का अड्डा
अंतर विभागीय जांच कमेटी की रिपोर्ट ने एक चौंकाने वाला सच उजागर किया है। समिति ने स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य प्रमंडल की जांच की तो पाया कि यहां वर्षों से एक बड़ा रैकेट सक्रिय था। कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह, विनोद कुमार, राधेश्याम रवि और चंद्रशेखर—इन चार अधिकारियों ने विभिन्न समयावधियों में डीडीओ के रूप में काम करते हुए अवैध निकासी में भूमिका निभाई।
इसी प्रमंडल में तैनात प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी अनिल डाहंगा, रंजन कुमार सिंह और परमानंद कुमार की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इन सभी पर वित्तीय कागजातों की हेराफेरी और निकासी प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का आरोप है।
कोषागार की भूमिका भी सवालों के घेरे में
घोटाले की परतें खोलने पर यह भी सामने आया है कि कोषागार अधिकारी भी इस खेल का हिस्सा थे। वित्तीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ट्रेजरी ऑफिसर मनोज कुमार, डॉ मनोज कुमार, सुनील कुमार सिन्हा और सारिका भगत ने फर्जी निकासी को वैधता प्रदान की। सरकार की अंतरिम जांच रिपोर्ट में इन अधिकारियों की भूमिका को गंभीर बताते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
अब आगे की कार्रवाई क्या?
झारखंड सरकार ने पूरे मामले की गहराई से जांच के लिए विशेष सतर्कता इकाई को निर्देशित किया है। कई अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, और कुछ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो चुकी है। यह घोटाला राज्य की प्रशासनिक और वित्तीय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है, खासकर तब जब राज्य में जल संकट और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर लगातार जनआक्रोश सामने आता रहा है।
20 करोड़ की इस अवैध निकासी ने यह दिखा दिया कि सरकारी तंत्र में किस तरह की ढिलाई और अंदरूनी सांठगांठ से सार्वजनिक संसाधनों की लूट संभव है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस मामले में कितनी पारदर्शिता और कठोरता से कार्रवाई करती है।
https://indiafirst.news/scam-in-water-resources-department-jharkhand
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