भारतीय सेना की अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश भर में गर्व और जज़्बे का माहौल है, लेकिन कर्नाटक के बेलगावी जिले के छोटे से गांव कोन्नूर की फिजा कुछ और ही बयां कर रही है। यहां की गलियों में बच्चों की आवाज़ें हैं-“हमारी दीदी टीवी पर आईं”, और घर-घर में मिठाइयाँ बांटी जा रही हैं। वजह है भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की आधिकारिक जानकारी देशवासियों को दी।
इस ऐतिहासिक पल के बाद जब मीडिया की नजरें कर्नल कुरैशी के परिवार की ओर मुड़ीं, तो सबसे भावुक बयान उनके ससुर, 70 वर्षीय गौसाब बागेवाड़ी ने दिया। नम आंखों और कांपती आवाज़ में उन्होंने कहा-“मेरी बहू ने मुझे गौरवान्वित किया है। आज गांव के लोग मुझे मिलकर बधाई दे रहे हैं। वह करीब छह महीने पहले गांव आई थी, और अब उसके नाम से गांव की पहचान हो रही है। मैं बहुत खुश हूं।”
गौसाब बागेवाड़ी के बेटे और कर्नल सोफिया के पति, कर्नल ताजुद्दीन बागेवाड़ी भी भारतीय सेना में अधिकारी हैं। उन्होंने अपने पिता को फोन पर आश्वस्त किया कि सोफिया पूरी तरह सुरक्षित हैं और वह देश के लिए जो कर रही हैं, उससे उन्हें भी गर्व महसूस हो रहा है।
गांव कोन्नूर में आज एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। यहां के लोगों ने शायद ही कभी अपनी मिट्टी से जुड़ी किसी बेटी को इस तरह राष्ट्रीय मंच पर देखा हो। गांव की महिलाओं का कहना है कि कर्नल सोफिया अब सिर्फ एक सैनिक नहीं, बल्कि अगली पीढ़ी की लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: जब देश ने सुना दो बहादुर बेटियों की आवाज़
7 और 8 मई 2025 की रात, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर एक सटीक और साहसी सैन्य अभियान को अंजाम दिया, तो देश को इसकी जानकारी देने के लिए दो महिला सैन्य अधिकारियों को चुना गया-कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह।
इन दोनों की उपस्थिति ने मीडिया रूम में मौजूद हर व्यक्ति को गहराई से प्रभावित किया। कोई गर्व से भर गया, कोई भावुक हो गया, और कई लोग चुपचाप उन्हें निहारते रहे-यह सोचते हुए कि देश की रक्षा अब सिर्फ पुरुषों के हाथ में नहीं, बल्कि हमारी बेटियों की दृढ़ता और नेतृत्व में भी है।
“कोन्नूर की बेटी” अब पूरे देश की बेटी
गांव की स्कूल टीचर शकुंतला ताई कहती हैं, “हमने अपनी आंखों के सामने सोफिया को बड़ा होते देखा है। उसकी मेहनत, अनुशासन और देशभक्ति शुरू से साफ़ दिखती थी। आज वह पूरे देश की बेटी बन चुकी है।”
कर्नल सोफिया कुरैशी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना अब महिलाओं को न सिर्फ शामिल कर रही है, बल्कि उन्हें नेतृत्व के सबसे अहम मोर्चों पर भी जिम्मेदारी सौंप रही है।
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