नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया को उनके द्वारा समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में की गई अभद्र टिप्पणी के लिए जमकर लताड़ लगाई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले में गंभीर टिप्पणी करते हुए इलाहाबादिया की सोच और उनके बयानों की कड़ी आलोचना की। अदालत ने कहा कि उनके द्वारा की गई टिप्पणियां समाज के मूल्यों के खिलाफ हैं और सार्वजनिक रूप से अपमानजनक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
- ‘इलाहाबादिया के दिमाग में यकीनन कुछ गंदगी थी, जो उन्होंने यूट्यूब शो पर उगल दी।’
- ‘उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द बहन-बेटियों, माता-पिता और समाज को भी शर्मिंदा करने वाले हैं।’
- ‘समाज के मूल्य और मानदंड क्या हैं? क्या आप जानते भी हैं?’
- ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को भी समाज के मानकों के खिलाफ कुछ भी बोलने की छूट नहीं दी जा सकती।’
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- रणवीर इलाहाबादिया को अपना पासपोर्ट थाने में जमा करना होगा।
- वे बिना अनुमति देश छोड़कर नहीं जा सकेंगे।
- अपने खिलाफ दर्ज शिकायतों में पुलिस और जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग करना होगा।
- जब तक मामला समाप्त नहीं हो जाता, तब तक उनके शो का कोई भी एपिसोड ऑन-एयर नहीं होगा।
रणवीर को मिली राहत
- मुंबई और गुवाहाटी में दर्ज एफआईआर में उन्हें किसी दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण दिया गया।
- इस मामले में अब उनके खिलाफ कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं होगी।
- यदि कोई नई एफआईआर होती है तो भी उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
‘दिमाग की गंदगी शो में उगल दी’
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबादिया की टिप्पणियों को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया और कहा कि उनके शब्द न केवल अनैतिक हैं, बल्कि सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन भी करते हैं। कोर्ट ने पूछा, “समाज के मूल्य क्या हैं? इनके पैरामीटर क्या हैं? क्या इलाहाबादिया इस बारे में जानते भी हैं?” न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह के व्यवहार की कड़ी निंदा की जानी चाहिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को भी समाज के मूल्यों और मानकों के खिलाफ कुछ भी बोलने की छूट नहीं है। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि “अश्लीलता और फूहड़ता के मापदंड क्या हैं?” यह संकेत देता है कि कोर्ट इस विषय में स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की मंशा रखता है।
धमकियों पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
इलाहाबादिया के वकील ने यह तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को धमकियां मिल रही हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपमानजनक भाषा का उपयोग कर सस्ता प्रचार हासिल कर सकता है, तो वही तर्क धमकी देने वाले व्यक्ति पर भी लागू होता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की बयानबाजी किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
यूट्यूब पर अश्लील कंटेंट पर सरकार का रुख?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी यह सवाल किया कि क्या वह यूट्यूब पर बढ़ते अश्लील और अनैतिक कंटेंट पर कोई कार्रवाई करना चाहती है। कोर्ट ने कहा, “अगर सरकार इस दिशा में कुछ करना चाहती है, तो यह स्वागत योग्य होगा। अन्यथा, हम इसे यूं ही नहीं छोड़ सकते।” अदालत ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से इस विषय में राय मांगी और इसे एक गंभीर मुद्दा बताया।
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