नई दिल्ली। मुंबई में 26/11 को हुए भयावह आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं में शामिल और फिलहाल भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में मौजूद तहव्वुर हुसैन राणा को लेकर कई अहम खुलासे हो रहे हैं। एनआईए की टीम शनिवार को लगातार दूसरे दिन राणा से पूछताछ करती रही, लेकिन एजेंसी को उससे अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक एनआईए राणा से उस व्यक्ति के बारे में जानकारी चाहती है, जिससे वह दुबई में मिला था और जो आईएसआई का एजेंट हो सकता है। अधिकारियों को शक है कि उस रहस्यमय शख्स की भूमिका हमलों की साजिश में अहम रही है।
‘नाम कमाने वाले वकील नहीं चाहिए’
इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाला पहलू सामने आया है। तहव्वुर राणा ने दिल्ली की एक विशेष एनआईए अदालत में यह मांग रखी है कि उसके लिए जो वकील नियुक्त किया जाए, वह उसकी केस का इस्तेमाल अपनी शोहरत बढ़ाने के लिए न करे।
एडिशनल सेशन जज चंदरजीत सिंह ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा, “आरोपी ने आग्रह किया है कि उसका वकील ऐसा न हो जो उसके जरिए नाम और प्रसिद्धि कमाना चाहता हो। अदालत आरोपी की इस मांग को स्वीकार करती है।”
अदालत ने साथ ही यह भी निर्देश दिए हैं कि राणा के लिए नियुक्त विधिक सेवा वकील मीडिया से किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं करेंगे। यदि वकील की पहचान पहले से सार्वजनिक नहीं है, तो उसे गोपनीय ही रखा जाएगा। राणा को अदालत की अनुमति से एक सॉफ्ट टिप पेन और कागज भी दिए गए हैं, ताकि वह वकील से संवाद कर सके लेकिन खुद को कोई नुकसान न पहुंचा सके।
सवालों से बचने की कोशिश, ‘याद नहीं’ और ‘पता नहीं’ बना ढाल
11 अप्रैल को हिरासत में लिए जाने के बाद एनआईए ने राणा से लगभग तीन घंटे की पूछताछ की, लेकिन राणा ने बार-बार बीमारी का हवाला देते हुए या तो सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया या फिर ‘याद नहीं’, ‘पता नहीं’ कहकर बात को टालने की कोशिश करता रहा।
जांच एजेंसी राणा और एक ‘रहस्यमय गवाह’ को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की योजना बना रही है। यह गवाह राणा को हमले से पहले से जानता था और बताया जा रहा है कि वह राणा और डेविड हेडली दोनों का बचपन का दोस्त है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का एक पूर्व सैन्य चिकित्सक है, जो बाद में अमेरिका में जाकर बस गया था। वह लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने वाले डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी था। अमेरिका में राणा को पहले ही आतंकवाद से संबंधित मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है, और अब भारत ने उसकी भूमिका को लेकर प्रत्यर्पण की प्रक्रिया के तहत उसे हिरासत में लिया है।
जांच एजेंसी की चुनौतियां बढ़ीं
एनआईए के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती यह है कि तहव्वुर राणा से कोई ठोस जानकारी कैसे निकाली जाए। वह लगातार टालमटोल कर रहा है और वकील की नियुक्ति को लेकर भी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है। ऐसे में, जांच एजेंसी को न केवल साक्ष्यों पर निर्भर रहना होगा, बल्कि गवाहों और सहयोगियों के जरिये उसे राणा की चुप्पी तोड़ने की भी रणनीति बनानी होगी।
https://indiafirst.news/tahawwur-rana-lawyer-demand-26-11-case
Leave a Reply