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36 हज़ार फीट पर ‘टेरर टर्ब्युलेंस’! ना आगे रास्ता, ना पीछे! इंडिगो फ्लाइट की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी

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What caused IndiGo flight’s massive air turbulence? दिल्ली से श्रीनगर की एक सामान्य उड़ान अचानक ज़िंदगी और मौत की जद्दोजहद में बदल गई।
21 मई की शाम इंडिगो की फ्लाइट संख्या 6E2142 जब दिल्ली से श्रीनगर की ओर बढ़ रही थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह यात्रा इतना बड़ा खतरा बन जाएगी। विमान में बैठे 227 यात्री और चालक दल का यह सफ़र जबरदस्त तूफ़ान, एयर टर्ब्युलेंस और भारत-पकिस्तान तनाव के बीच से गुज़रा।

तूफ़ान का खतरा और पाकिस्तानी एयरस्पेस की बंद सीमा

विमान जब पठानकोट के ऊपर करीब 36,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था, तभी पायलट को जानकारी मिली कि दायीं ओर एक बड़ा तूफ़ान सक्रिय है। आमतौर पर ऐसे मौकों पर विमान का रास्ता मोड़ दिया जाता है, लेकिन इस बार बाईं ओर पाकिस्तान का एयरस्पेस शुरू हो रहा था – जहां से इजाज़त नहीं मिली।

दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने एयरस्पेस को बंद कर रखा है। ऐसे में जब इंडिगो पायलट ने लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल से मार्ग बदलने की इजाज़त मांगी, तो उसे ठुकरा दिया गया। अब पायलट के पास तूफ़ान में घुसने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

विमान का हिचकोले खाना और यात्रियों की घबराहट

तेज़ हवाओं और ओलों के बीच विमान बुरी तरह हिलने लगा। सीट बेल्ट बांध चुके यात्री भी डर के मारे कांप उठे। कुछ को लगा कि शायद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है। लेकिन पायलट की सूझबूझ और धैर्य ने सभी की जान बचाई।

विमान को पहुंचा नुक़सान- नोज कोन बुरी तरह क्षतिग्रस्त

विमान का सबसे आगे का हिस्सा- जिसे नोज कोन कहा जाता है- तूफ़ानी हवाओं और ओलों की मार से बुरी तरह टूट गया। एक्सपर्ट्स के मुताबिक़, बारिश में उड़ते ओलों ने विमान के फ्रंट को क्रैश कर दिया। लेकिन इसके बावजूद विमान को शाम करीब साढ़े छह बजे सुरक्षित श्रीनगर एयरपोर्ट पर उतार लिया गया। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।

विमान में कौन-कौन था सवार?

इस विमान में आम यात्रियों के साथ तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन की अगुवाई में पांच सांसदों का प्रतिनिधिमंडल भी था, जो सीमा पर फायरिंग से प्रभावित लोगों से मिलने जा रहा था।

क्या है एयर टर्ब्युलेंस? कितनी ख़तरनाक होती है यह स्थिति?

एयर टर्ब्युलेंस यानी हवा की वह स्थिति जब वायुमंडल अचानक अशांत हो जाए। कभी शांत हवाएं तेज़ हो जाएं या ऊपर-नीचे बहने लगें। विमान जब इस हवा से टकराता है, तो तेज़ झटके लगते हैं।
प्राकृतिक घटनाएं जैसे तूफ़ान, जेट स्ट्रीम, थर्मल बदलाव, और यहां तक कि ऊंची इमारतें या पहाड़ भी टर्ब्युलेंस का कारण बन सकते हैं।

Clear Air Turbulence- सबसे ख़तरनाक, सबसे अदृश्य

कई बार टर्ब्युलेंस का कोई दृश्य संकेत नहीं होता। न बादल होते हैं, न बारिश – लेकिन अचानक विमान झटके खाने लगता है। इसे कहते हैं Clear Air Turbulence (CAT)। ये अधिकतर 30,000 फीट से ऊपर होता है, जहां आमतौर पर विमानों की उड़ान होती है। इस तरह की टर्ब्युलेंस का पूर्वानुमान लगाना भी मुश्किल होता है।

क्या विमानों के लिए टर्ब्युलेंस सामान्य है?

टर्ब्युलेंस से गुजरना हर विमान के लिए एक आम बात है। लेकिन यह कब गंभीर बन जाए, कहा नहीं जा सकता। अमेरिका में हर साल करीब 65,000 विमान सामान्य टर्ब्युलेंस का सामना करते हैं और करीब 5500 विमान गंभीर टर्ब्युलेंस में फंसते हैं।
2024 में ठीक इसी तारीख़ को सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट 321 ने लंदन से उड़ान भरी थी, और गंभीर टर्ब्युलेंस में फंसकर यात्रियों को गंभीर चोटें आईं थीं।

क्लाइमेट चेंज से क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं?

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के एक अध्ययन के मुताबिक, 1979 से 2020 तक सिर्फ़ उत्तरी अटलांटिक रूट पर तेज़ टर्ब्युलेंस में 55% तक की बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग और हवाओं की असामान्य गति मानी गई है।
हवा गर्म होगी तो ऊपर और नीचे की हवाओं के बीच अंतर बढ़ेगा और इससे टर्ब्युलेंस के मौके ज़्यादा होंगे। तापमान में हर 1 डिग्री वृद्धि पर जेट स्ट्रीम की गति 2% तक बढ़ जाती है।

कौन से इलाके हैं टर्ब्युलेंस के ‘हॉटस्पॉट’?

तिब्बत का पठार- जहां विमान उड़ने से बचते हैं

Flightradar24 जैसी वेबसाइट्स पर देखें तो तिब्बत के ऊपर आपको शायद ही कोई विमान उड़ता दिखेगा। इसका कारण है ऊंचाई, विरल वायुमंडल और तेज़ हवाएं। यहां जेट इंजन का प्रदर्शन भी गिर सकता है और आपातकालीन लैंडिंग की जगहें भी नहीं हैं। इसलिए विमान या तो तिब्बत के ऊपर से या नीचे से होकर उड़ते हैं।

तकनीक के बावजूद, प्रकृति की ताकत बड़ी

आज के आधुनिक विमानों में LIDAR, वेदर रडार और उन्नत एयर ट्रैफिक सिस्टम हैं। मौसम विभाग भी अब 75% टर्ब्युलेंस का 18 घंटे पहले अलर्ट दे सकते हैं।
लेकिन जैसा इंडिगो की फ्लाइट 6E2142 की कहानी से साफ है- कई बार पायलट की हिम्मत और निर्णय ही सबसे बड़ा टेक्नोलॉजी बन जाता है।

https://indiafirst.news/terror-turbulence-indigo-flight

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