डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो (DRC) में अत्यधिक महत्वपूर्ण खनिज जैसे कोबाल्ट और कोल्टन निकाले जाते हैं, जो हमारे स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक कारों के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, इस संपत्ति की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। यह गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन, जैसे बाल श्रम और बलात्कारी विस्थापन, आम बात हैं। सशस्त्र समूह, जैसे M23 विद्रोही, अपने संघर्षों को वित्तपोषित करने के लिए इन खनिजों की अवैध व्यापार करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां और सरकारें इसमें एक संदेहास्पद भूमिका निभाती हैं, और यह आवश्यक है कि हम इस तरह के शोषण, संसाधनों की लूट, भ्रष्टाचार में संलिप्तता और संघर्ष को उजागर करें और विश्व के पटल पर रखें।
विश्वभर में रह रहे लोग इस ओर अपना ध्यान केंद्रित करें। इसलिए इस तरह के ज्वलंत मुद्दे को उठाना मनुष्य और समाज के हित में है। जिस और ध्यान किन्हीं को नहीं जाता। इस विषय पर न पढ़ पाते, न ही टीवी पर देख पाते, और न ही सुन पाते हैं और न ही इस पर चर्चा देखने को मिलता है।
कोंगो में हालिया की घटनाएं
यूएन (यूनाइटेड नेशन्स) के अनुसार 26 जनवरी 2025 से लेकर के अब तक हुए घटनाओं की वजह से कम से कम 900 लोगों की जानें चली गई और 2880 लोग बुरी तरह से घायल हो गए। इन सभी घायलों का ईलाज गोमा के नजदीकी अस्पतालों पर किया जा रहा है। यह आंकड़ा आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकता है। लड़ाई का केंद्र कोंगो के पूर्वी शहर के गोमा में है। यह लड़ाई डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो की सरकार और M23 के बीच है। M23 के लड़ाकों ने उत्तरी किवु प्रांत की राजधानी मोगा के एक बड़े भूभाग को अपने नियंत्रण में ले लिया है।
२९ जनवरी २०२५ रवांडा द्वारा कथित तौर पर समर्थित एम23 विद्रोहियों ने पूर्वी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो के क्षेत्र गोमा को अपने नियंत्रण में ले लिया। वहां कि जनसंख्या करीब २0 लाख की है। गोमा के बड़े भूभाग को विद्रोहियों ने अपने नियंत्रण में करने के साथ ही अपना इरादा को भी दिखा दिया। संभवतः विद्रोही का अगला कदम इसे अपना शासन क्षेत्र घोषित करना है। ताकि डीआरसी के समानांतर सरकार चला और अपनी बात मनवा सके। कोंगो की सरकार ने विद्रोहियों को चेतावनी दिया है की गोमा के इलाके को छोड़ दे अन्यथा एम23 खात्मा तय है। अचानक ०4 फरवरी २०२५ को एम23 ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी, यह ०५ फरवरी २०२5 से प्रभावी रहेगा।
कोंगो का इतिहास: लियोपोल्ड II से लेकर मोबूटू सेसे सेको तक
मैं सबसे पहले आपको इस प्रताड़ित देश के कुछ ऐतिहासिक बिंदुओं पर ले चलता हूँ। कोंगो में लियोपोल्ड II का शासन -लियोपोल्ड II (1835–1909) का कोंगो में शासन उपनिवेशी इतिहास के सबसे क्रूर अध्यायों में से एक है। लियोपोल्ड ने कोंगो को अपनी व्यक्तिगत उपनिवेशी संपत्ति के रूप में 1885 से 1908 तक शासित किया।

उसके शासन में रबर और हाथी दांत का शोषण- कोंगोवासियों को रबर उगाने के लिए अमानवीय परिस्थितियों में मजबूर किया गया। मानवाधिकार उल्लंघन श्रमिकों से हाथों को काटने जैसी क्रूरता के उदाहरण, जो अपनी कोटा पूरी नहीं कर पाते, उसे दंडित और प्रताड़ित किया जाता, जिसके कारण लाखों लोग मारे गए। अंतर्राष्ट्रीय विरोध- मिशनरी और लेखक जैसे जोसेफ कॉनराड ने कोंगो में हो रहे अत्याचारों का पर्दाफाश किया, और दुनिया भर में एक आंदोलन शुरू हुआ। लियोपोल्ड ने अपनी निजी संपत्ति से अपार धन अर्जित किया, जबकि कोंगो की जनता अत्यधिक पीड़ा में जीवन व्यतीत करती रही।
मोबूटू सेसे सेको: तानाशाही शासन लियोपोल्ड II के बाद, मोबूटू सेसे सेको ने कोंगो का नाम बदलकर जैर (Zaïre) रख दिया और 1965 से 1997 तक देश पर शासन किया। उसका शासन: “ऑथेंटिसिटी” नीति मोबूटू ने कोंगो की संस्कृति का पुनर्निर्माण करने की कोशिश की और बेल्जियम की उपनिवेशी प्रभाव को समाप्त किया, लेकिन यह नीति अपनी सत्ता को बढ़ाने पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया।
भ्रष्टाचार और “क्लेप्टोक्रेसी (भ्रष्टाचारीतंत्र)” मोबूटू और उसके करीबी सहयोगी राष्ट्रीय संसाधनों से खुद को समृद्ध करते रहे, जबकि देश की अर्थव्यवस्था गिरती रही। उसके शासन में मानवाधिकार उल्लंघन राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार, प्रताड़ित, और हत्या जैसी घृणा कृत्या होता रहा। मोबूटू का शासन 1997 में समाप्त हो गया जब एक विद्रोही गठबंधन ने उसे निर्वासित किया।
कोंगो की स्वतंत्रता,द्वितीय युद्ध “अफ्रीकन वर्ल्ड वॉर” और खूनी संघर्ष
कोंगो को सन् 1960 में बेल्जियम से स्वतंत्रता मिलने के पश्चात ही अनिश्चिता के बादल मंडराता रहा। इसके बाद भी अत्याचार, क्रूरता, भेदभावपूर्ण रवैया जारी रहा। कांगो में गृह युद्ध के जैसे हालात बना रहा, जो अब-तक निरन्तर जारी है। जब बेल्जियम शासन के दौरान रबर, हाथियों के दांत और संसाधनों की अंधाधुन दोहन किया। इसके साथ ही अत्याचार और मानवता को ताक में रख करके कोंगो में कईं दशकों तक राज किया। यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट्स के अनुसार 1996-97 से लेकरके अबतक करीब 60 लाख से अधिक लोगों की जानें गई।
द्वितीय युद्ध को “अफ्रीकन वर्ल्ड वॉर” के रूप में भी जाना जाता है। इस युद्ध में कुल 9 अफ्रीकन देशों ने भाग लिया। इनमें से कोंगो, सूडान, अंगोला, युगांडा, रवांडा, बुरुंडी, जिम्बाब्वे, नामीबिया, और चाड निम्नलिखित अफ्रीकन देशों के नाम हैं। इस युद्ध को अफ्रीकन इतिहास में सबसे क्रुर और खतरनाक माना जाता है। सिर्फ इस युद्ध के कारण 50 लाख से अधिक लोगों ने अपनी जानें गवाई और कईयों की जाने खराब स्वास्थ्य और बीमारियों के कारण चली गई। इस युद्ध में 25 से ज्यादा सशस्त्र समूहों ने हिस्सा लिया।

यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट्स, यूनाइटेड नेशन्स एनवायर्नमेंटल राइट्स और एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार यह मुख्यता वर्चस्व की लड़ाई न हो करके बल्कि डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो में स्थित समृद्ध संसाधनों पर नियंत्रण को ले करके लड़ाई है।
कांगो में उपलब्ध संसाधनों की अंतरराष्ट्रीय स्तर में मांग और उसका उपयोग

कॉपर और कोबाल्ट विश्व का ३४ प्रतिशत कोबाल्ट और १० प्रतिशत कॉपर सिर्फ डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो के कटंगा क्षेत्र में पाया जाता है। विश्वभर का ७० प्रतिशत कोबाल्ट का उत्पादन अकेले कोंगो में होता है।
कोल्टन विश्वभर का 60-8० प्रतिशत कोल्टन कोंगो के उत्तरी और दक्षिणी किवा प्रान्त में पाया जाता है। यह मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप में उपयोग होता है।
डायमंड्स विश्वभर का १७ प्रतिशत अनुमानित डायमंड्स का उत्पादन डीआरसी में होता है।
जंगल कोंगो देश का आधा क्षेत्र जंगलों से ढका और अफ्रीका में सबसे बड़ा संरक्षित जंगल है।
जल संसाधन (Hydroelectric) अफ्रीका महादेश का ५२ प्रतिशत जल सतह के भूभाग अकेले कोंगो में संरक्षित है। विश्व का दूसरा सबसे गहरायी वाली नदी का खिताब कोंगो नदी के नाम है।
पनबिजली की क्षमता कोंगो देश अफ्रीका का आधा पनबिजली उत्पादन करने का क्षमता रखता है, वहीं विश्व के हर 8 में से १ पनबिजली उत्पादन क्षमता कोंगो में है।
जैव-विविधता (Biodiversity) कोंगो को अफ्रीका का जैव-विविधताओं का घर माना जाता है। कोंगो बेसिन में अफ्रीका महाद्वीप का ७० प्रतिशत क्षेत्र पेड़-पौधों और वनस्पतियों से ढका हुआ है।

एम 23 ग्रुप का आंदोलन और उदय होने का कारण
एम23 ग्रुप या मार्च 23 आंदोलन, यह एक कांगोलियन तुत्सी नेतृत्व वाले विद्रोही सेना का समूह है, जो पूर्वी कोंगो के उत्तरी किवु प्रांत के इलाकों में काफी सक्रिय है। एम23 ग्रुप नाम के संदर्भ को 23 मार्च 2009 कि शांति वार्ता से जोड़ा जाता है। यह समूह दावा करता है कि कांगोलियन सरकार उन्हें सम्मान देने में असफल रही। कुछ सालों के बाद, वर्ष 2012 में एम23 विद्रोही समूह का गठन किया गया। गठन करने के पीछे का तर्क डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो सरकार द्वारा तुत्सी जनजाति पर भेदभाव, नस्लभेदी टिप्पणी और दोहरेदरजे की नागरिक की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया और अपने आप को एक पीड़ित के तौर पर पेश किया।

इसके साथ ही मांग किया कि युगांडा और रवांडा में रह रहे तुत्सी शरणार्थियों को अब तक वापस नहीं लाया गया। इससे साफ होता है कि कोंगो की सरकार ने शांति वार्ता को ठीक से पालन नहीं किया। परिणामस्वरूप विद्रोही का जन्म होने का कारक बताया गया। तुत्सी जनजाति की आबादी कांगो में मात्र 5 प्रतिशत की है। एम23 का मानना है कि तुत्सी जनजाति के अलावा अन्य अल्पसंख्यक जनजातियों की रक्षा के लिए यह ग्रुप का गठन किया है।
एम23 अक्सर हुतु मिलिशिया का डर दिखा करके अपना वर्चस्ववादी नीति को आगे बढ़ा रहा है। 1994 में हुए नरसंहार को रवांडा नरसंहार के रूप में जाना जाता है। करीब 20 लाख लोग रवांडा से कोंगो में प्रवेश किया और बाद में कई उग्रवादी संगठन भी बनाया। आज के समय में तुत्सी, हुतु मिलिशिया और अन्य जनजातियों के बीच लड़ाई बदस्तूर जारी है। मुख्य लड़ाई तुत्सी और हुतु जनजातियों के बीच है। यह वर्चस्व की लड़ाई है।
कई संस्थाओं के आंकड़ों के अनुसार एम23 समूह ने क्रूरता की सारी सीमाएं लांघ करके बच्चों को बलपूर्वक अपने समूह में भर्ती करना, महिलाओं का शोषण, बलात्कार और बड़े पैमाने पर लोगों की हत्या करना शामिल है। इस ग्रुप को 2013 की भीषण लड़ाई में पराजित का मुंह देखना पड़ा। उस समय लग की शायद ही अब यह ग्रुप दोबारा स्थापित हो पाएगा। 2021 में एम23 ग्रुप की वापसी अविश्वसनीय तरीके से हुई और आज के समय में पूर्वी कोंगो में सबसे शक्तिशाली सशस्त्र समूहों में से एक बन गया।

यूनाइटेड नेशन्स और बहुत सारे देशों का मानना है कि विद्रोहियों को रवांडा की सेना ने पीछे से समर्थन दे रखा है। यूएन विशेषज्ञों के अनुसार 3,000 से 4,000 के बीच रवांडा सेना की उपस्थिति को बताया गया है उन्हीं के देख-रेख में विद्रोहियों को सहायता दिया जा रहा है। तकनीक से लेस हथियार, गोला बारूद और जरूरी समानों को मुहैया करा रही है। रवांडा की सेना इसे सिरे से ख़ारिज कर देती है। वहीं किसी भी तरह की संलिप्तता को नकारते आई है।
Apple के खिलाफ मुकदमा और अंतर्राष्ट्रीय भूमिका
दिसंबर 2024 में, DRC (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो) की सरकार ने Apple के खिलाफ एक ऐतिहासिक मुकदमा दायर किया, जिसमें कंपनी पर आरोप लगाया गया कि वह अमानवीय परिस्थितियों में निकाले गए खनिजों से लाभ उठा रही है। यह मुकदमा मल्टीनेशनल कंपनियों की नैतिक जिम्मेदारी को उजागर करता है और सप्लाई चेन में पारदर्शिता और जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इन खनिजों का खनन अक्सर बाल श्रम, मजबूरी श्रम, और हिंसा के साथ किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां भी इन शोषणों में शामिल होने का आरोप झेल रही हैं।

कांगो के प्रमुख खनिजों का उपयोग सारांश में समझे
कोंगो में कोबाल्ट, कोल्टन, तांबा, और हीरे जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में हैं। ये खनिज आधुनिक प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इनकी खनन प्रक्रिया अक्सर गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के साथ जुड़ी होती है। कोबाल्ट बैटरी के लिए आवश्यक, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों और स्मार्टफोन में। कोल्टन इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मोबाइल फोन और लैपटॉप में उपयोग होता है। तांबा और हीरे निर्माण सामग्री, आभूषण और औद्योगिक उपयोग में होते हैं।

खनिज | उपयोग | महत्वपूर्ण विवरण |
---|---|---|
कोबाल्ट | इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्टफोन के लिए बैटरी | कोंगो दुनिया का 70% से अधिक कोबाल्ट उत्पादक है। |
कोल्टन | मोबाइल फोन, लैपटॉप, चिकित्सा उपकरण | इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में कंडेन्सेटर्स के लिए आवश्यक। |
तांबा | इलेक्ट्रिकल वायरिंग, निर्माण सामग्री | कोंगो के पास दुनिया की सबसे बड़ी तांबे की खदानें हैं। |
हीरे | आभूषण, औद्योगिक उपयोग | DRC औद्योगिक हीरे का एक प्रमुख उत्पादक है। |
सोना | आभूषण, वित्तीय भंडार, इलेक्ट्रॉनिक्स | अवैध खनन और तस्करी प्रमुख समस्याएं हैं। |
लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों और मोबाइल उपकरणों के लिए रिचार्जेबल बैटरियां कोंगो में महत्वपूर्ण खनिज के रूप में उभरा है, कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग।

अतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान कोंगो की ओर आकृष्ट करना आवश्यक है
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोंगो एक अत्यधिक प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध देश है, लेकिन इन संसाधनों का शोषण गंभीर कीमत पर होता है। उपनिवेशवाद, तानाशाही, और भ्रष्टाचार ने इस देश को गहरे रूप से प्रभावित किया है, और वर्तमान में खनिजों का शोषण इन मानवाधिकार उल्लंघनों को बढ़ावा देता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और कंपनियों को इस शोषण को समाप्त करने और कांगो के लिए एक न्यायपूर्ण और सतत भविष्य सुनिश्चित करने में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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https://indiafirst.news/the-dark-side-of-sustainable-technology-exploitation-of-congos-resources
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