फार्मास्युटिकल उद्योग ने वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में अद्वितीय प्रभाव डाला है। चिकित्सा में नवाचारों के कारण, लोग पहले से कहीं अधिक समय तक और स्वस्थ रहते हैं। दवाइयों ने जीवन को बचाया है, कैंसर के उपचार से लेकर वैक्सीनेशन तक, जो वैश्विक महामारी से निपटने में मदद कर रहा है। इस उद्योग ने चिकित्सा विज्ञान में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं, जैसे नए एंटीवायरल उपचार, क्रॉनिक बीमारियों के लिए उन्नत इलाज और जीवन रक्षक ऑपरेशन। फार्मास्युटिकल क्षेत्र ने लाखों लोगों के जीवन को बचाने और गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक ऐसी दुनिया में जहां चिकित्सा विज्ञान लगातार विकसित हो रहा है, फार्मास्युटिकल उद्योग अक्सर उस नायक की तरह दिखाई देता है जो हमें बीमारियों से बचाता है। लेकिन सवाल यह उठता है: किस कीमत पर?
फार्मास्युटिकल क्रांति की छाया और वैकल्पिक उपचारों की उपेक्षा:
फार्मास्युटिकल उद्योग की उपलब्धियों का कोई इनकार नहीं कर सकता, लेकिन इसके नीचे कुछ चिंताजनक प्रथाएँ भी हैं, जो स्वास्थ्य और लाभ के बीच के संबंध को प्रभावित करती हैं। जो और भी दिलचस्प है, वह है वैकल्पिक चिकित्सा का खारिज़ किया जाना। जहां फार्मास्युटिकल कंपनियां पारंपरिक चिकित्सा की पद्धतियों से परे की वैकल्पिक उपचार पद्धतियों को अक्सर अनदेखा करती हैं, वहीं लाखों लोग प्राकृतिक और समग्र उपचार से लाभ उठा रहे हैं।

वैकल्पिक चिकित्सा: एक अदृश्य शक्ति
हर्बल चिकित्सा से लेकर एक्यूपंक्चर और होम्योपैथी तक, वैकल्पिक चिकित्सा वह तरीका प्रदान करती है, जिसके द्वारा लोग उन रोगों का इलाज करते हैं, जिन्हें पारंपरिक दवाइयां ठीक नहीं कर पातीं। इन उपचारों का मुख्य ध्यान शरीर की स्व-चिकित्सा शक्ति को बढ़ावा देना है, न कि केवल लक्षणों को दबाना। जिन रोगों के लिए पारंपरिक चिकित्सा अधिक प्रभावी नहीं है, जैसे पुरानी दर्द, तनाव और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर, उनके लिए कई लोग वैकल्पिक उपचारों में राहत पाते हैं।
फार्मास्युटिकल उद्योग क्यों नहीं चाहता इन उपचारों को अपनाना
हालाँकि वैकल्पिक चिकित्सा के कई उपचार सफल रहे हैं, फार्मास्युटिकल उद्योग इन तरीकों को आमतौर पर नकारता है। इसका कारण यह है कि वैकल्पिक उपचारों को अक्सर पेटेंट नहीं किया जा सकता, जिसका मतलब है कि फार्मास्युटिकल कंपनियां इन पर कोई नियंत्रण नहीं रख सकतीं, और न ही इनसे लंबे समय तक लाभ कमा सकतीं। इसके बजाय, फार्मास्युटिकल उद्योग लंबे समय तक चलने वाले उपचारों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो मरीज़ों को जीवन भर दवाइयों की आवश्यकता होती है।

यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि, वैकल्पिक चिकित्सा को हमेशा “अवैज्ञानिक” या “भरोसेमंद” के रूप में नहीं देखा जाता है, क्योंकि यह परंपरागत शोध विधियों और रासायनिक दवाओं के विपरीत होता है, जिन्हें अक्सर बड़ी कंपनियों द्वारा प्रोमोट किया जाता है। जबकि वैकल्पिक उपचारों का लाभ मरीजों को हो सकता है, फार्मास्युटिकल कंपनियों को यह पसंद नहीं आता क्योंकि वे इन्हें नियंत्रित और मापने के पारंपरिक तरीकों से बाहर मानते हैं।
फार्मास्युटिकल उद्योग के घोटाले और अनैतिकता:
कई रिपोर्ट्स के अनुसार OxyContin और ओपिओइड संकट जैसा कि पहले उल्लेख किया गया, Purdue Pharma द्वारा OxyContin का प्रसार एक ओपिओइड संकट का कारण बना। Purdue ने इस दवा को बिना यह बताए कि यह कितनी लक्षणात्मक और लत लगाने वाली हो सकती है, और इसके विपरीत एक आक्रामक तरीके से मार्केटिंग का अभियान चलाया। 2019 में Purdue को $8 बिलियन का जुर्माना भरना पड़ा, लेकिन तब तक लाखों लोग इसकी चपेट में आ चुके थे। 2021 तक, अनुमानित 68,000 अमेरिकी ओपिओइड से जुड़ी मौतों का शिकार हो गए, जिनमें से अधिकांश OxyContin के कारण मौतें हुई।

Vioxx और Merck
Merck ने अपनी दवा Vioxx को बाजार से वापस लिया, जब यह पता चला कि इसका उपयोग करने से दिल का दौरा और अन्य कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं बढ़ सकती हैं। Merck ने बाद में $4.85 बिलियन की वसूली के रूप में भुगतान किया, लेकिन इसकी असल कीमत उन लोगों को चुकानी पड़ी जिन्होंने इस दवा का सेवन किया। Vioxx ने 20 मिलियन से अधिक मरीजों को प्रभावित किया, और इससे हजारों लोगों की मौत हो गई।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि फार्मास्युटिकल उद्योग का उद्देश्य कभी-कभी लाभ अधिक होता है, जबकि मरीजों के भले की चिंता कम। यह साबित होता है कि जब मरीजों की भलाई की बात आती है, तो फार्मास्युटिकल कंपनियां अपने वाणिज्यिक हितों के पक्षधर में अधिक होते हैं।
वैकल्पिक चिकित्सा: खतरनाक प्रतिस्पर्धा
वैकल्पिक चिकित्सा के कई उपचार फार्मास्युटिकल दवाओं के मुकाबले बहुत प्रभावी साबित हुए हैं। हर्बल दवाइयां, जैसे हल्दी और अश्वगंधा, सूजन और तनाव को कम करने में मदद कर सकती हैं, जबकि एक्यूपंक्चर दर्द और अन्य शारीरिक समस्याओं के इलाज के लिए उपयोगी हो सकता है। लेकिन इन उपचारों को स्वीकार करना फार्मास्युटिकल कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से कठिन हो सकता है, क्योंकि वे इन उपचारों से कोई बड़ा लाभ नहीं कमा सकते।
फार्मास्युटिकल उद्योग का ध्यान हमेशा “व्यावसायिक” दवाओं पर रहता है, जिनका पेटेंट किया जा सकता है और जो कंपनियों को लंबे समय तक वित्तीय लाभ देती हैं। इसके विपरीत, हर्बल और वैकल्पिक उपचारों को कभी भी पेटेंट नहीं किया जा सकता, और ये उद्योग के हितों में नहीं आते। यही कारण है कि फार्मास्युटिकल कंपनियां वैकल्पिक चिकित्सा का विरोध करती हैं, क्योंकि इससे उनके बडी प्रतिस्पर्धा पैदा होती है।
निष्कर्ष: सेवा या लाभ के लिए उपचार?
फार्मास्युटिकल उद्योग ने कई महान उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन इसके भीतर गहरी नैतिक समस्याएं भी हैं। जहां एक ओर कंपनी की सेवा पर ध्यान कम और लाभ पर अधिक है, वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक चिकित्सा के लाभों को नजरअंदाज किया जा रहा है। यही कारण है कि यह उद्योग केवल लाभ कमाने के बजाय मरीजों के भले में और अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है।
यह समय की बात है कि हम स्वास्थ्य और उपचार के विचार को एक विस्तृत दृष्टिकोण से देखें, जिसमें पारंपरिक फार्मास्युटिकल उपचार और वैकल्पिक चिकित्सा दोनों के लाभ शामिल हों। केवल इस संतुलन से हम एक स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, जहां चिकित्सा और लाभ के बीच संतुलन हो।
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https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles
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