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“Tungnath मंदिर की रहस्यमयी कहानी: यहां माता पार्वती ने की थी कठोर तपस्या”

Tungnath Shiva Temple Uttarakhand

रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड: देवभूमि उत्तराखंड अपने आध्यात्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थित तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और प्रकृति के अनूठे संगम का प्रतीक है।

Tungnath का धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में तुंगनाथ का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि पांडवों ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था। द्वापर युग में महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव की खोज में निकले थे। तब शिवजी ने उनसे बचने के लिए बैल का रूप धारण कर लिया और विभिन्न स्थानों पर प्रकट हुए, जिन्हें पंच केदार के रूप में जाना जाता है। तुंगनाथ उन्हीं पंच केदारों में से एक है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार, मां पार्वती ने इसी स्थान पर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही कारण है कि इस मंदिर को देवी-देवताओं की असीम कृपा प्राप्त है।

इतना ही नहीं, कहा जाता है कि भगवान राम ने भी रावण वध के बाद ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहीं तपस्या की थी। इस कारण यह स्थान पापों के प्रायश्चित और मोक्ष की साधना के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

चंद्रशिला मंदिर: अधूरे माने जाते हैं तुंगनाथ के दर्शन

तुंगनाथ मंदिर के कुछ ही दूरी पर स्थित चंद्रशिला मंदिर का भी अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त तुंगनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद चंद्रशिला नहीं जाता, तो उसके दर्शन अधूरे माने जाते हैं। चंद्रशिला चोटी से हिमालय की बर्फीली चोटियों का नजारा मन को मोह लेता है।

Tungnath कैसे पहुंचें?

तुंगनाथ जाने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग की सुविधा उपलब्ध है।

  • हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट (देहरादून) है, जहां से कैब के जरिए चोपता तक जाया जा सकता है।
  • रेल मार्ग: ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून रेलवे स्टेशन यहां के लिए सबसे नजदीकी विकल्प हैं।
  • सड़क मार्ग: चोपता तक बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद लगभग 4 किमी का ट्रेकिंग रास्ता तय कर तुंगनाथ मंदिर पहुंचा जाता है।

नवंबर से मार्च तक बंद रहता है मंदिर

तुंगनाथ मंदिर हर साल नवंबर से मार्च तक भारी बर्फबारी के कारण बंद रहता है। इस दौरान भगवान शिव की डोली को नीचे मुक्कुमठ ले जाया जाता है, जहां उनकी पूजा जारी रहती है।

शिवभक्तों के लिए स्वर्ग समान स्थान

तुंगनाथ सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि आध्यात्म और प्रकृति का ऐसा संगम है जहां दर्शन मात्र से ही आत्मिक शांति प्राप्त होती है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां आकर महादेव के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और हिमालय की गोद में स्थित इस दिव्य स्थल का आनंद उठाते हैं।

अगर आप भी आध्यात्मिक यात्रा का मन बना रहे हैं, तो तुंगनाथ मंदिर जरूर जाएं। यहां की अद्भुत शांति और आस्था की शक्ति आपको एक नया अनुभव प्रदान करेगी।

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