नई दिल्ली/प्रयागराज। मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज कुंभ में हुई भगदड़ का मामला संसद में जोरशोर से उठा। विपक्षी दलों ने इस त्रासदी पर विस्तृत चर्चा की मांग की और सरकार पर मौतों के सही आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ, नारेबाजी हुई, और विपक्षी सांसदों ने सांकेतिक रूप से सदन का बहिष्कार भी किया।
राज्यसभा में खड़गे के बयान पर हंगामा
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कुंभ में मृतकों को श्रद्धांजलि दी और दावा किया कि इस हादसे में “हजारों” लोगों की जान गई। खड़गे के इस बयान पर सत्ता पक्ष भड़क उठा और राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया।
सभापति जगदीश धनखड़ ने खड़गे से बयान वापस लेने की अपील करते हुए कहा, “जो भी इस सदन में कहा जाता है, उसका महत्व होता है। विपक्ष के नेता ने हजारों की संख्या में मौतों का आंकड़ा दिया है, जो स्तब्ध करने वाला है।”
विपक्ष ने इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की, जिसे ठुकरा दिया गया, जिसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन का बहिष्कार किया।
लोकसभा में भी गरमाया मुद्दा
लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने इस हादसे पर चर्चा कराने की मांग की, लेकिन स्पीकर ओम बिरला ने इसे अस्वीकार कर दिया। विपक्षी सांसदों ने सरकार से मौतों का सही आंकड़ा सार्वजनिक करने की मांग की और नारेबाजी की।
बिरला ने विपक्षी सांसदों को फटकार लगाते हुए कहा, “आपको जनता ने यहां प्रश्न पूछने के लिए भेजा है, मेजें तोड़ने के लिए नहीं। अगर मेज ही तोड़ना है, तो और जोर से मारिए।”
प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू ने विपक्षी सदस्यों के रवैये पर सवाल उठाए।
विपक्ष के आरोप: वीआईपी व्यवस्था बनी मौतों की वजह?

विपक्षी दलों ने प्रयागराज कुंभ में वीआईपी व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा की अनदेखी की गई।
समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा से बाहर आकर कहा, “सबसे ज्यादा दूषित पानी इस वक्त कुंभ में है। सरकार कोई सफाई नहीं दे रही। शव पानी में फेंक दिए गए हैं, जिससे गंगा दूषित हो रही है।”
तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने कहा, “हम सच्चाई चाहते हैं। खोजी पत्रकार बता रहे हैं कि मरने वालों की संख्या 30 नहीं, बल्कि उससे कहीं ज्यादा है। सरकार सच क्यों छिपा रही है?”
राजद सांसद मनोज झा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “इतनी जानें चली गईं और सरकार सदन में इसे अनदेखा कर रही है। हमने सांकेतिक वॉकआउट किया, ताकि सरकार जवाबदेही तय करे।”
बीजेपी का जवाब: विपक्ष कुंभ को बदनाम कर रहा है
सत्तारूढ़ बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया।
बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, “अगर कुंभ में अव्यवस्था होती, तो इतने श्रद्धालु स्नान करने कैसे पहुंचते? भगदड़ का कारण जांच का विषय है। लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहा है।”
सरकारी आंकड़े बनाम विपक्ष के दावे
उत्तर प्रदेश सरकार ने 29 जनवरी की रात 2 बजे हुई भगदड़ में 30 लोगों के मारे जाने और 60 के घायल होने की पुष्टि की है। जबकि विपक्ष का दावा है कि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक है और सरकार आंकड़े छिपा रही है।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, “जब सरकार करोड़ों स्नान करने वालों की गिनती कर सकती है, तो शवों की गिनती क्यों नहीं कर पा रही? लोग अपनों को ढूंढ रहे हैं, सरकार को जवाब देना होगा।”
निष्कर्ष: हादसे पर राजनीति गर्म, जनता को जवाबदेही का इंतजार
प्रयागराज कुंभ की भगदड़ ने ना सिर्फ कई जिंदगियां लील लीं, बल्कि संसद में सियासी घमासान भी खड़ा कर दिया। विपक्ष मौतों के सही आंकड़ों को लेकर सरकार को घेर रहा है, तो वहीं सरकार इसे “राजनीतिक हमला” बता रही है।
अब सवाल यह है कि क्या इस घटना की निष्पक्ष जांच होगी और क्या मृतकों के परिवारों को न्याय मिलेगा? या फिर यह मुद्दा भी महज सियासी बयानबाजी में दबकर रह जाएगा?
https://indiafirst.news/uproar-in-parliament-over-stampede-in-maha-kumbh
Leave a Reply