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ईरान से तेल खरीद पर अमेरिका की सख्त चेतावनी: ट्रंप बोले- अब कोई रियायत नहीं मिलेगी


वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कड़ा संदेश देते हुए ईरान से तेल और पेट्रोकैमिकल उत्पादों की खरीद पर प्रतिबंध की बात दोहराई है। ट्रंप ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो देश या व्यक्ति ईरान से तेल खरीदेंगे, वे अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार के व्यापार से वंचित कर दिए जाएंगे।

ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर प्रस्तावित वार्ता का चौथा दौर स्थगित कर दिया गया है। यह वार्ता शनिवार को इटली की राजधानी रोम में होनी थी। अब वार्ता का भविष्य पूरी तरह अमेरिका के रुख पर निर्भर करेगा।

ईरान पर बढ़ती सख्ती

ट्रंप ने अपने पोस्ट में लिखा, “अब और रियायत नहीं दी जाएगी। ईरान से तेल या उससे संबंधित उत्पाद खरीदने वाले किसी भी देश को अमेरिका के साथ व्यापार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

ईरान ने अमेरिका पर वार्ता में बाधा डालने और अपने विरोधाभासी बयानों से तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है। वहीं, अमेरिका का तर्क है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक गंभीर वैश्विक खतरा बन चुका है।

ओमान ने की पुष्टि, वार्ता फिलहाल रुकी

ओमान, जो अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभा रहा है, ने भी वार्ता स्थगित होने की पुष्टि की है। ओमान का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में वार्ता के लिए सही माहौल नहीं है।

इस बीच, अमेरिका ने ईरान के तेल कारोबार से जुड़ी कई कंपनियों पर बुधवार को प्रतिबंध लगा दिए। गुरुवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने यमन में हाउती विद्रोहियों को समर्थन देने के लिए ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी।

भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को लेकर ट्रंप का बयान

ट्रंप ने व्यापार के मुद्दे पर भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ संभावित व्यापार समझौते हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका को इन समझौतों की जल्दी नहीं है क्योंकि टैरिफ की वजह से उसे पहले ही लाभ मिल रहा है।

उन्होंने कहा, “हमें उनकी उतनी जरूरत नहीं है, जितनी उन्हें हमारी है। इसीलिए हम जल्दबाज़ी में नहीं हैं।”

डोनाल्ड ट्रंप का यह कड़ा रुख न केवल ईरान के बढ़ते परमाणु प्रभाव को रोकने की कोशिश है, बल्कि वैश्विक व्यापार में अमेरिका की प्राथमिकता और प्रभुत्व को भी रेखांकित करता है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय संबंधों और ऊर्जा बाजारों पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है।

https://indiafirst.news/us-warning-iran-oil-trump-no-deal

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