कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी स्कूलों में नियुक्त करीब 26 हजार शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरी चली गई है। इस अभूतपूर्व फैसले से पश्चिम बंगाल के शिक्षा क्षेत्र में भूचाल आ गया है। लेकिन संकट की इस घड़ी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन शिक्षकों का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की है। सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता ने इन प्रभावित शिक्षकों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि वे उनके साथ खड़ी हैं — चाहे इसके लिए उन्हें जेल ही क्यों न जाना पड़े।
“आपकी लड़ाई मेरी लड़ाई है”- ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षकों के सामने खड़े होकर साफ कहा,
“मैं उन लोगों के साथ हूं जिन्होंने अन्यायपूर्ण तरीके से अपनी नौकरी गंवाई है। अगर मुझे इस समर्थन के लिए दंडित किया जाता है, तो मैं जेल जाने को भी तैयार हूं।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार वैकल्पिक योजनाओं पर काम कर रही है ताकि किसी पात्र शिक्षक को बेरोजगार न रहना पड़े। ममता ने केंद्र की भाजपा सरकार और वामपंथी विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि,
“कुछ लोग शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करना चाहते हैं। यह एक गंदा खेल है और इसके पीछे राजनीतिक साजिश है।”
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की नियुक्तियां
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा 2016 में की गई 25,753 नियुक्तियों को अमान्य घोषित कर दिया था। कोर्ट ने चयन प्रक्रिया को “दागी” करार दिया और कहा कि यह मेरिट के साथ धोखा है। इससे हजारों शिक्षकों और गैर-शिक्षकीय कर्मियों की नौकरी पर गाज गिरी।
शिक्षकों में गुस्सा और ग़म
नेताजी इंडोर स्टेडियम में एकत्रित शिक्षकों के चेहरों पर दुख, गुस्सा और असमंजस साफ झलक रहा था। कई शिक्षक भावुक हो गए। कुछ ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी की सारी उम्मीदें इस नौकरी से जोड़ी थीं और अब वे एक झटके में सब कुछ खो बैठे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री की बातों से उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिली।
राजनीतिक संग्राम तेज़
इस मुद्दे ने बंगाल की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। भाजपा ने ममता सरकार पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बता रही है।
क्या आगे राहत मुमकिन है?
अब सबकी निगाहें बंगाल सरकार की उस वैकल्पिक योजना पर हैं, जिसके तहत इन शिक्षकों को फिर से नियुक्त करने की कोशिश की जाएगी। ममता बनर्जी का दावा है कि कोई भी पात्र अभ्यर्थी बेरोजगार नहीं रहेगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह राह आसान नहीं होगी।
26000 परिवारों पर एक झटके में संकट टूट पड़ा है। सवाल यह है कि क्या ममता बनर्जी अपने वादे को निभा पाएंगी? और क्या यह मामला शिक्षा व्यवस्था में सुधार का कारण बनेगा या एक और राजनीतिक विवाद में तब्दील हो जाएगा?
https://indiafirst.news/west-bengal-teacher-scam-mamata-banerjee-reaction
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