देश के जाने-माने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक बीमारी से उनकी मृत्यु हुई। जाकिर हुसैन का इलाज सैन फ्रांसिस्को के ही एक अस्पताल में चल रहा था, इस बात की जानकारी उनके परिवार ने दी।
पुरी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत की दिलाई थी गौरवशाली पहचान

भारत और विदेश में एक जाना-माना नाम, यह कलाकार अपने पीछे 60 साल से ज़्यादा का संगीत अनुभव छोड़ गया है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय और विश्व संगीत के मिश्रण में कुछ महानतम भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संगीतकारों के साथ मंच पर तबला बजाया, जिससे तबले को एक नई पहचान दिलाई थी ।
जाकिर हुसैन की प्रारंभिक और उच्च शिक्षा मुंबई से हुई थी

उस्ताद जाकिर हुसैन की मैट्रिक तक की शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी उसके बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएट की पढ़ाई मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से पुरी की थी।
जाकिर हुसैन को देश की प्रतिष्ठित पद्मश्री,पद्म भूषण, पद्म विभूषण, जैसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है

संगीत कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी जाकिर हुसैन को दिया गया है

पद्म भूषण सम्मान जो भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। यह सम्मान भी उस्ताद जाकिर हुसैन को वर्ष 2003 में दिया गया है।
देश का दूसरा उच्च नागरिक सम्मान भी जाकिर हुसैन के नाम दर्ज है

पद्म विभूषण सम्मान भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा उच्च नागरिक सम्मान है, जो देश के लिये असैनिक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है। यह सम्मान भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। यह सम्मान भी उस्ताद जाकिर हुसैन के नाम दर्ज है ।
https://indiafirst.news/zakir-hussain-passes-away-in-san-francisco-america
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